सरबजीत की मौत के हर जिम्मेदार को दो सजा : पाक मीडिया

सरबजीत की मौत के हर जिम्मेदार को दो सजा : पाक मीडिया

इस्लामाबाद : पाकिस्तानी मीडिया ने कहा है कि पाकिस्तान की एक जेल में मौत की सजा पाए भारतीय कैदी की हत्या का मामला द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकता है और प्रशासन को मामले की तह तक पहुंच कर सरबजीत सिंह की मौत के लिए जिम्मेदार हर व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए।

लाहौर की कोट लखपत जेल में पिछले सप्ताह सरबजीत पर जघन्य हमले तथा कल उनकी मौत की खबरें आज अधिकतर पाकिस्तानी मीडिया के पहले पन्नों पर हैं। 49 वर्षीय सरबजीत सिंह की 26 अप्रैल को साथी कैदियों के हमले के बाद करीब एक सप्ताह तक कोमा में रहने के बाद दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

सरबजीत की मौत पर द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है, `पाकिस्तान की जेल में 22 साल, आठ महीने और तीन दिन बिताने के बाद सरबजीत सिंह गुरुवार को भारत लौट गया लेकिन परिवार के साथ रहने के लिए नहीं बल्कि अंतिम यात्रा के लिए।’ ट्रिब्यून में प्रकाशित संपादकीय में ‘सरबजीत सिंह का दुखद अंत’ शीषर्क से लिखा गया है, `उन पर हमला करने वाले कैदियों को पकड़ने भर से काम नहीं चलेगा बल्कि जेल प्रशासन को कड़ाई से इस मामले से निपटना होगा।’ संपादकीय में लिखा गया है कि सरबजीत की सुरक्षा और देखभाल पाकिस्तानी राज्य की जिम्मेदारी थी।

द न्यूज ने अपने संपादकीय में कहा है, `सरबजीत सिंह की लंबी कहानी का त्रासद अंत।` हालांकि उनकी रिहाई के लिए चलाए गए अभियान की बदौलत उनकी मौत की सजा कई बार टाली गयी। दैनिक ने लिखा है, लेकिन कुछ सवाल हैं जिनका जवाब दिए जाने की जरूरत है और हमले के लिए जिम्मेदार सभी लोगों की हर हालत में पहचान होनी चाहिए। द न्यूज ने लिखा है `यह भी महत्वपूर्ण है कि हमें यह जांच करनी होगी कि उन्हें बेहतर सुरक्षा क्यों नहीं दी गयी। खासतौर से तब जबकि जेल के भीतर भारतीय कैदी से बुरे बर्ताव की यह पहली घटना नहीं थी।`

द डान ने ‘कैदी खतरे में : सरबजीत सिंह पर हमला’ शीर्षक से अपने संपादकीय में भी इस बात पर सवाल उठाया है कि गंभीर खतरे के बावजूद भारतीय नागरिक को बेहतर सुरक्षा क्यों नहीं उपलब्ध कराई गई।’ इसमें लिखा गया है, ‘यह उसी बीमारी का मामला है जिसका पाकिस्तान अक्सर सामना करता रहता है। समय रहते कदम नहीं उठाना और चीजों के गलत होने पर मामले में सुलह समझौते का प्रयास करना।’ पाकिस्तान की भीड़भाड़ वाली जेलों में आमूलचूल सुधार का आह्वान करते हुए डान ने लिखा है कि सरबजीत का मामला अलग है क्योंकि इसके राजनीतिक और राजनयिक आयाम हैं।

49 वर्षीय सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उनके सिर की हड्डी में चोट आने के साथ ही उन्हें कई प्रकार की चोटें लगी थीं। उनके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उनकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे। सरबजीत को वर्ष 1990 में पंजाब प्रांत में हुए कई बम विस्फोटों में कथित रूप से उसकी संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया गया था। इस हमले में 14 लोग मारे गए थे।

अदालतों तथा पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उसकी दया याचिकाओं को ठुकरा दिया था। पाकिस्तान की निवर्तमान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ने वर्ष 2008 में सरबजीत की फांसी पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी थी। सरबजीत का परिवार कहता रहा कि वह गलत शिनाख्त का शिकार हुआ और नशे की हालत में वह गलती से सीमा पार कर गया था। (एजेंसी)

First Published: Friday, May 3, 2013, 16:43

comments powered by Disqus