Last Updated: Tuesday, February 26, 2013, 19:49
कोलंबो : मीडिया और सूचना मंत्रालय की वेबसाइट की हैकिंग के प्रकरण को श्रीलंका ने आज ‘साइबर आतंकवाद’ का कृत्य करार दिया। इस हैकिंग को विदेशों में रहने वाले एलटीटीई की करतूत बताते हुए मीडिया मंत्रालय के सचिव चरिथा हीरथ ने कहा, ‘‘इसे हम साइबर आतंकवाद के कृत्य के रूप में देखते हैं।’ कुछ अज्ञात हैकरों ने कल मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्प की उस रिपोर्ट का लिंक अपलोड कर दिया था, जो वर्ष 2009 में तमिल चीतों के साथ हुए श्रीलंका के युद्ध के निर्णायक चरणों में हुए अत्याचारों पर आधारित है।
वेबसाइट पर अपलोड किए गए लिंक ‘मीडिया-जीओवी-एलके’ के साथ एक संदेश भी लिखा गया था, जो कहता था, ‘‘निर्दोष तमिल लोगों की हत्याएं बंद करो या फिर हमारी ओर से हमलों के लिए तैयार रहो।’’ हीरथ ने सरकारी रेडियो को बताया कि मंत्रालय ने हैक की गई वेबसाइट पर नियंत्रण कर लिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे कई मोचरें पर काम करते हैं और साइबर उन्हीं में से एक है।’’ साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कल जेनेवा में शुरू हुई संयुक्त राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद की बैठक में श्रीलंका में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन का मामला प्रमुख मसला बन रहा है। ऐसे में यह घटना इस समय होना महत्वपूर्ण हो जाता है। अधिकार समूहों ने मीडिया मंत्रालय पर आरोप लगाए कि वह वेब आधारित मीडिया को विफल करने का आरोप लगाया। इन समूहों ने दावा किया कि सरकार-विरोधी सामग्री प्रकाशित करने वाली वेबसाइटों को मंत्रालय के आदेश पर इंटरनेट सेवा प्रदाताओं द्वारा स्थानीय स्तर पर बाधित कर दिया जाता है।
इसी बीच सरकारी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने ब्रितानी चैनल 4 टेलीविजन के वृतचित्र ‘नो फायर जोन’ के प्रदर्शन के खिलाफ कल संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्रों का कल विरोध किया था। इस वृतचित्र में बिना किसी सुनवाई के सजा देने वाली तस्वीरें दिखाई गई हैं। जेनेवा में श्रीलंका के राजदूत रविंथा अरियासिन्हा ने कहा कि यह वृतचित्र अविश्वसनीय, अपुष्ट और अप्रमाणित है। यदि संयुक्त राष्ट्र इसका प्रदर्शन जेनेवा में करता है तो इस तरह वह खुद अपने ही कानूनों का उल्लंघन करेगा। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 26, 2013, 19:49