Last Updated: Wednesday, August 1, 2012, 13:16

इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने भारत को औपचारिक तौर पर सूचित किया है कि वर्ष 2008 में हुए मुंबई हमलों के सिलसिले में नयी दिल्ली ने जो सबूत मुहैया कराए हैं वह पाकिस्तान की अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं क्योंकि बचाव पक्ष के वकीलों को भारतीय अधिकारियों से जिरह की अनुमति नहीं दी गई थी।
यहां के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर में कहा गया है कि पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने भारत सरकार को सूचित किया है कि लश्कर ए तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी सहित सात संदिग्धों के खिलाफ सुनवाई में नयी दिल्ली द्वारा दिए गए सबूत स्वीकार्य नहीं हैं।
खबर में कहा गया है कि भारत सरकार को कल भेजे गए एक पत्र में गृह मंत्रालय ने रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधक अदालत की व्यवस्था का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सबूतों को स्वीकार्य बनाने के लिए प्रमुख भारतीय अधिकारियों से पूछताछ जरूरी है। इस मामले की 28 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान आतंकवाद निरोधक अदालत ने दो पाकिस्तानी जांचकर्ताओं के बयान दर्ज नहीं किये। इन जांचकर्ताओं को भारत द्वारा मुहैया कराए गए सबूतों के बारे में बयान देने थे।
न्यायाधीश ने व्यवस्था दी कि पाकिस्तानी न्यायिक आयोग द्वारा भारत मे एकत्र किए गए सबूतों को मामले का हिस्सा नहीं बनाया गया है इसलिए भारतीय सबूतों को भी इस मामले में रिकार्ड में नहीं लाना चाहिए। भारतीय अधिकारियों ने जो सबूत मुहैया कराए हैं उनमें मुंबई हमले के दौरान जीवित पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब का इकबालिया बयान, हमलावरों और पाकिस्तान में मौजूद उनके आकाओं के बीच हुई बातचीत के जो अंश पकड़े गए थे उनकी सीडी, मृतकों और घायलों की ऑटोप्सी तथा मेडिकल रिपोर्ट और चार भारतीय अधिकारियों के बयान शामिल हैं।
पाकिस्तानी न्यायिक आयोग ने मुंबई दौरे के समय चारों अधिकारियों से साक्षात्कार किया था। बहरहाल, भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के तहत कोई जिरह नहीं की गई थी। संघीय जांच एजेंसी की जांच से जुड़े सूत्रों ने ‘‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’’ को बताया कि गृह मंत्रालय ने भारत को यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान में जिन सात संदिग्धों के खिलाफ सुनवाई चल रही है उनका प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अगर भारतीय अधिकारियों से जिरह नहीं कर सके तो नयी दिल्ली द्वारा मुहैया कराए गए सबूतों का पाकिस्तान में कोई कानूनी महत्व नहीं है।
सातों संदिग्धों पर मुंबई हमलों की साजिश रचने, उसकी वित्त व्यवस्था करने और उसे अंजाम देने का आरोप है। नवंबर 2008 को हुए इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 1, 2012, 13:16