`80 फीसदी चीनियों को नहीं पता 1962 का युद्ध`

`80 फीसदी चीनियों को नहीं पता 1962 का युद्ध`

बीजिंग : चीन की 80 फीसदी से अधिक आबादी को वर्ष 1962 में भारत के साथ हुए युद्ध की जानकारी नहीं है और वह चाहते हैं कि दोनों देश टकराव की छाया से बाहर निकलें। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स द्वारा सात बड़े शहरों में भारत चीन युद्ध के 50 बरस पूरे होने पर किए गए सर्वे में कहा गया है कि मात्र 15 फीसदी प्रत्युत्तरदाताओं को 1962 के युद्ध की जानकारी है।

अखबार के अनुसार, सर्वे यह पता लगाने के लिए किया गया कि इस युद्ध को चीनी किस तरह याद करते हैं और अब भारत के बारे में उनका क्या नजरिया है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, सर्वे पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली जबकि एक अमेरिकी एजेंसी द्वारा इसी तरह कराए गए सर्वे में नकारात्मक परिणाम मिले थे।

सर्वे में कहा गया है कि 80 फीसदी चीनियों ने भारतीयों के बारे में तटस्थ या सकारात्मक राय जाहिर की जबकि ज्यादातर चीनी मानते हैं कि दोनों पड़ोसी देश युद्ध की आशंका से दूर हो सकते हैं। अखबार में कहा गया है कि भारत के बारे में धारणा पूछने पर 78 फीसदी चीनियों ने कहा कि इस पर उनका रूख तटस्थ है और केवल 16.4 ने इस देश के प्रति अरूचि जताई।

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, सर्वे में यह भी कहा गया कि 50 फीसदी से थोड़े ज्यादा प्रत्युत्तरदाताओं को लगता है कि चीन और भारत की सीमाओं पर सैन्य टकराव की आशंका है जबकि 39 फीसदी से अधिक ने सर्वे में कहा कि ऐसे टकराव की आशंका बहुत ही कम है। करीब 17 फीसदी लोगों ने टकराव की आशंका को खारिज कर दिया।

सर्वे के मुताबिक, 61 फीसदी से अधिक लोगों ने चीन भारत संबंधों को सामान्य या अच्छा बताया जबकि 34 फीसदी लोगों की राय में दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बना हुआ है। इस सर्वे के और वाशिंगटन स्थित पेव एजेंसी के सर्वे के हाल ही में प्रकाशित नतीजों में गहरा विरोधाभास है। पेव एजेंसी के सर्वे में कहा गया है कि मुश्किल से 23 फीसदी लोगों की ही राय भारत के बारे में सकारात्मक है जबकि 62 फीसदी लोग इस देश के बारे में नकारात्मक राय रखते हैं।

अमेरिकी सर्वे में कहा गया, वर्तमान में मात्र 44 फीसदी चीनी ही कहते हैं कि उनके दक्षिणी पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था में हो रही वृद्धि चीन के लिए सकारात्मक है। यह संख्या वर्ष 2010 की तुलना में कम है जब हर दस में से छह चीनी ऐसा मानते थे। पेव के सर्वे में यह भी कहा गया कि इसी अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि को खराब मानने वाले चीनियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई।

दिलचस्प बात यह है कि एक और चीनी अखबार ‘द लिबरेशन डेली’ ने आज चेतावनी दी है कि अमेरिकी मीडिया समूहों के प्रयास भारत और चीन के सुधरते रिश्तों को फिर से तनावपूर्ण कर सकते हैं। परिणामों का विश्लेषण करते हुए ‘चाइना इन्स्टीट्यूट्स ऑफ कॅन्टेम्प्रेरी इंटरनेशनल रिलेशन्स’ के एक शोधार्थी मा ली ने ग्लोबल टाइम्स से कहा,1962 के युद्ध की पराजय भारतीयों के मन में गहरे तक चुभी हुई है। भारतीयों की तुलना में बहुत ही कम चीनियों को इसकी जानकारी है।
ग्लोबल टाइम्स के सर्वे में चीन भारत रिश्तों के अवरोधों के बारे में पूछे जाने पर चीनी प्रत्युत्तरदाताओं ने कहा कि सीमा विवाद की वजह से सुरक्षा संबंधी चिंता, दोनों शक्तियों के उदय के दौरान एक दूसरे के प्रति अविश्वास और दलाई लामा का मुद्दा यह तीन मुख्य कारण हैं जो दोनों देशों के रिश्तों पर असर डालते हैं। मा के मुताबिक, करीब 75 फीसदी लोगों ने कहा कि चीन और भारत अपने बीच छाई युद्ध की छाया से बाहर निकल सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा उत्साहजनक है क्योंकि इससे पता चलता है कि चीन और भारत के बीच विवादों की तुलना में कहीं ज्यादा मिलतीजुलती समझ है।

उन्होंने कहा कि परिणामों से कुछ प्रत्युत्तरदाताओं के मन में चीन के विकास और सुरक्षा संबंधी रणनीतियों को लेकर गलतफहमी का भी पता चला। मा को लगता है कि भविष्य में चीन और भारत में कोई टकराव नहीं होगा। उन्होंने कहा, दोनों परमाणु संपन्न शक्तियों के लिए एक दूसरे से टकराव कल्पना से परे है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, October 20, 2012, 13:54

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