LeT ने हमला किया तो जिम्मेदारी पाक की: अमेरिका

LeT ने हमला किया तो जिम्मेदारी पाक की: अमेरिका

वाशिंगटन : लश्कर-ए-तैय्यबा को पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा समर्थित और पोषित आतंकी नेटवर्क बताते हुए एक शीर्ष अमेरिकी सांसद ने इस्लामाबाद को चेतावनी दी कि अगर लश्कर-ए-तैय्यबा की ओर से अमेरिका पर कोई भी हमला अब किया गया तो इस्लामाबाद को उसकी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।

सांसद पीटर किंग ने संसद की सुनवाई के दौरान कल कहा, ‘हमें पाकिस्तान को यह बात स्पष्ट कर देनी चाहिए कि आईएसआई और लश्कर-ए-तैय्यबा के बीच के नजदीकी संबंधों के चलते, हमारी धरती पर लश्कर-ए-तैय्यबा की ओर से होने वाले किसी भी हमले की जिम्मेदारी उन्हें उठानी पड़ेगी।’ संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा आतंकी संगठन घोषित किए गए लश्कर-ए-तैय्यबा को किंग ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का एक छद्म रूप (प्रॉक्सी) बताया।

उन्होंने कहा, ‘इसे समझना बेहद जरूरी है। लश्कर-ए-तैय्यबा पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस यानी आईएसआई का आतंकी छद्म रूप है। यह लश्कर-ए-तैय्यबा को आतंकी हमलों के प्रशिक्षण और तैयारी के लिए सुरक्षित स्थान और आर्थिक मदद उपलब्ध करवाता है।’ न्यूयॉर्क के रिपब्लिकन सांसद किंग सदन की होमलैंड सुरक्षा समिति की आतंकवाद निरोधी और खुफिया उपसमिति के प्रमुख हैं।

किंग ने कहा, ‘लश्कर-ए-तैय्यबा का मुख्य ध्यान कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के विवाद पर है। यह एक ऐसा मसला है जिसमें नियमित रूप से निर्दोष भारतीय नागरिक मारे जाते हैं। लश्कर-ए-तैय्यबा की पहुंच विस्तृत है और यह विदेशों तक फैली है। वर्ष 2009 में डेनमार्क धमाकों की योजना के अलावा वर्ष 2002 में इसने फ्रांस से भेजे गए एक प्रशिक्षक के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया में पूर्वनियोजित हमले में भी सहयोग किया।’ किंग ने कहा कि लश्कर-ए-तैय्यबा का नेटवर्क दक्षिण एशिया और फारस की खाड़ी के देशों के अलावा यूरोप में ब्रिटेन, कनाडा और न्यूजीलैंड तक है।

न्यूयॉर्क के इस सांसद ने मांग की कि अमेरिकी सरकार 2 मई 2011 को पाकिस्तान में मिले दस्तावेजों को सार्वजनिक करे, जो कि लश्कर-ए-तैय्यबा के साथ :आईएसआई: के संबंधों को बेहतर तरीके से बता सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह एक सतत प्रक्रिया है। मुझे लगता है कि इसे टालने के बजाय जल्दी ही किया जाना चाहिए।’ किंग ने कहा, ‘लश्कर-ए-तैय्यबा ने भारत में अमेरिकी नागरिकों की हत्या की, वह अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों से लड़ता है और इस देश में सक्रिय है। ऐसे में हमें यह संभावना मानकर चलनी चाहिए कि भविष्य में हमारे देश में लश्कर-ए-तैय्यबा हमला कर सकता है।’

न्यूयॉर्क से डेमोक्रेटिक सांसद ब्रियान हिग्गिन्स ने कहा कि ऐसे सबूत मिले हैं, जो दर्शाते हैं कि अलकायदा ने मुंबई हमलों वाली तकनीक को पश्चिम में अपनाने की कोशिश की। न्यूयॉर्क के अग्निशमन विभाग के आतंकवाद निरोधी और आपातकालीन तैयारियों के प्रमुख जोसेफ फाइफर ने अपने कथन में कहा कि वर्ष 2008 में हुआ मुंबई हमला एक बड़ा बदलाव है। फाइफर ने कहा, ‘तीन दिनों तक 14 लाख की आबादी वाले शहर को बंधक बनाकर रखा गया, 166 लोगों को कई जगहों पर मार डाला गया। यह आतंकी हमलों का एक नया प्रारूप पेश करता है।’

उन्होंने कहा, ‘मुंबई सरीखे हमले के मुख्य बिंदुओं में कई आतंकवादी, कई निशाने, कई तरह से हमले किए गए जिसमें मीडिया का ध्यान आकषिर्त करने के लिए लंबा समय था। सारी हिंसा के बावजूद उस दिन की सबसे प्रमुख तस्वीरों में होटल ताज में लगी आग वाली तस्वीरें हैं। होटल की खिड़कियों के जरिए लपटों से बचकर निकलने की कोशिश करते लोगों की तस्वीरें 11 सितंबर को अमेरिका में हुए हमले की याद दिलाते हैं।’ जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय के एडमंड ए वाल्श स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस की सहायक प्रोफेसर क्रिस्टीन फेयर ने कहा कि जमात-उद-दावा के नाम तले सक्रिय लश्कर-ए-तैय्यबा पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठनों में से सबसे ज्यादा संगठित संगठन है।

उन्होंने कहा, ‘इसे न सिर्फ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से निर्बाध समर्थन मिलता है बल्कि इसे कई बार पंजाब सरकार से भी आर्थिक मदद मिल चुकी है। जमात-उद-दावा मुख्यत: पंजाब प्रांत में आधारित है और इसके अधिकर ठिकाने वास्तव में वहीं हैं । फेयर ने कहा कि इंडियन मुजाहिद्दीन लश्कर-ए-तैय्यबा का छद्म संगठन है ताकि जब भी इंडियन मुजाहिद्दीन हमले करे तो पाकिस्तानी सरकार अपने और हमले के बीच एक अतिरिक्त प्रतिरोधक के रूप में इसका इस्तेमाल कर सके।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें विदेश नीति का इस्तेमाल करके हर संभव प्रयास करना चाहिए ताकि इनकार की संभावना को ही समाप्त किया जा सके।’ (एजेंसी)

First Published: Thursday, June 13, 2013, 13:00

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