Last Updated: Friday, July 13, 2012, 14:55

लाहौर : लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद ने पाकिस्तान की एक अदालत से गुहार लगाई है कि देश में अति विशिष्ट व्यक्ति (वीवीआईपी) संस्कृति खत्म की जाए। सईद ने इस संस्कृति को औपनिवेशक युग की देन करार देते हुए इसे संविधान और इस्लामी सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला बताया।
लाहौर हाईकोर्ट में कल एक याचिका दायर करके सईद ने सरकार के शीर्ष पदाधिकारियों और अधिकारियों को मिलने वाली सुविधाओं को चुनौती दी। सईद के अधिवक्ता एके डोगर द्वारा दायर याचिका में अदालत से यह घोषणा करने का अनुरोध किया गया कि वीआईपी और वीवीआईपी दर्जा औपनिवेशक युग की देन है जो संविधान के दिए गए समानता और सामाजिक एवं आर्थिक न्याय के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
अमेरिका ने हाल ही में हाफिज सईद के सिर पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया था।
सईद ने दावा किया है कि इस तरह का चलन लोकतंत्र और इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं। पदाधिकारी सरकारी आवासों में राजा और युवराज की तरह रह रहे हैं। सईद ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री का उदाहरण देते हुए कहा कि वह 17वीं सदी में बने चार शयनकक्षों वाले छोटे से घर में रहते हैं। सईद ने दावा किया कि जिस तरह से ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहते हैं वह ‘बिल्कुल इस्लामी’ सिद्धांत और पैगंबर की शिक्षा के अनुरूप है।
सईद ने दावा किया कि राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास और सभी प्रांतों में गवर्नर आवासों एवं मुख्यमंत्री आवासों को इस्लामी सिद्धांतों का उल्लंघन करार देना चाहिए। सईद ने कहा कि सरकार को ब्रिटिश अधिकारियों के उदाहरणों का अनुसरण करना चाहिए जो बसों और ट्रेनों में सफर करते हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 13, 2012, 14:55