Last Updated: Monday, April 16, 2012, 15:52
नई दिल्ली : सरकार ने चीन द्वारा अक्साई चिन में वेधशाला के प्रस्तावित निर्माण से देश की सुरक्षा के लिए किसी तरह के खतरे की आशंका को सोमवार को अधिक तवज्जो नहीं दी। अक्साई चिन जम्मू-कश्मीर का वह दूरदराज वाला इलाका है जिस पर चीन ने 1962 के युद्ध के बाद कब्जा कर लिया था।
सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि अक्साई चिन के बारे में खबर आई है जो सियाचिन ग्लेशियर से काफी दूर है। चीनी निर्माण के कारण अक्साई चिन विवाद गहरा जाने संबंधी खबरों को बिना मजबूत आधार वाली रिपोर्ट करार देते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित स्थल ‘उनकी सीमा से 100 किलोमीटर से ज्यादा अंदर है’ और इससे भारत को कोई खतरा नहीं है।
चीन विज्ञान अकादमी में राष्ट्रीय खगोलीय वेधशाला के मुख्य शोधकर्ता याओ योंगक्यिांग ने संवाद एजेंसी शिन्हुआ को दिये साक्षात्कार में कहा था कि ईस्ट एशिया कोर आब्जर्वेटरी एसोसिएशन ने चीन की राष्ट्रीय वेधशाला के साथ मिलकर किंगहाई तिब्बत पठार और शिजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र के पामिर्स पठार पर दो साल तक संयुक्त सर्वेक्षण करने के बाद अपनी सिफारिश दी थी।
इस एसोसिएशन के चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान सदस्य हैं। याओ ने बताया था कि नई वेधशाला के लिए संभावित स्थल 5100 मीटर की उंचाई पर तिब्बत के नगारी प्रांत के पर्वतीय क्षेत्र में होगा।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 17, 2012, 11:36