Last Updated: Thursday, September 26, 2013, 18:45

नई दिल्ली : सांसदों और विधायकों को दोषसिद्धि के तुरंत बाद अयोग्य होने से बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश पर विपक्ष के हमलों के बीच, सरकार ने गुरुवार को पलटवार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर इस मुद्दे पर अपना रुख बदलने का आरोप लगाया।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा कि असल में आपको भाजपा से पूछना चाहिए। वे पहले कानून में बदलाव चाहते थे, उन्होंने पहले क्यों कहा कि वे विधेयक पारित करेंगे और संसद के सत्र के अंतिम दिनों में उन्होंने अपना मन क्यों बदल लिया।
उन्होंने कहा कि उन्हें अपना मन बदलने का हक है लेकिन चूंकि केवल आपने अपना मन बदल लिया, इसलिए आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि सभी को अपना मन बदल लेना चाहिए। चिदंबरम ने याद दिलाया कि 13 अगस्त को सर्वदलीय बैठक में, ‘सर्वसम्मति से मांग’ की गई कि सुप्रीम कोर्ट के जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 62 (5) और धारा 8 (4) पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संबंध में कुछ किया जाना चाहिए।
धारा 62 (5) पर फैसला कहता है कि जो उम्मीदवार जेल में बंद हैं वे चुनाव नहीं लड़ सकते जबकि धारा 8 (4) पर फैसला कहता है कि सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्यों को आपराधिक मामले में दोषसिद्धि और दो साल या इससे अधिक की जेल की सजा को चुनौती देने के लिए तीन महीने का समय नहीं मिलेगा और उनकी सदस्यता तुरंत खत्म हो जाएगी। इस मुद्दे पर भाजपा को घेरते हुए उन्होंने आश्चर्य जताया कि गुजरात के विवादित मंत्री बाबूभाई बोखिरिया जन प्रतिनिधित्व कानून की आड़ लेकर कैसे पद पर बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें तीन साल की सजा हुई है। वह आज मंत्री पद पर कैसे बने हुए हैं। धारा 8 (4) को निरस्त किया जा चुका है इसलिए भाजपा को उनसे पद छोड़ने के लिए कहना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 26, 2013, 18:45