अपने पैतृक घर में मां दुर्गा की पूजा करेंगे राष्ट्रपति

अपने पैतृक घर में मां दुर्गा की पूजा करेंगे राष्ट्रपति

सूरी (पश्चिम बंगाल) : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में मिरीती स्थित अपने पैतृक आवास में अपनी कुल देवी दुर्गा की पूजा करने वाले हैं, जो रविवार से शुरू होगी। हालांकि, इस बार प्रोटोकॉल का विषय अधिक महत्वपूर्ण है फिर भी राष्ट्रपति पूजा की सभी रस्मों में शामिल होंगे। उनके परिवार और जिला प्रशासन ने यह जानकारी दी है।


पूजा के मुताबिक व्यवस्था की गई है लेकिन अंत में कुछ बदलाव हो सकता है। शायद पहली बार ऐसा होगा कि एक राष्ट्रपति एक पुजारी के रूप में अपनी कुलदेवी की पूजा करेंगे।

जिलाधीश जगदीश प्रसाद मीणा ने बताया कि प्रणब 19 अक्तूबर को हेलीकॉप्टर के जरिए कोलकाता से मिरीती पहुंचेंगे और वह वहां 23 अक्तूबर तक ठहरेंगे।

अपने पांच दशक के राजनीतिक जीवन के दौरान सिर्फ एक दो बार को छोड़ कर मुखर्जी हर साल अपनी कुलदेवी की पूजा करने के लिए मिरीती जाते रहे हैं। केंद्र सरकार में अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के दौरान भी वह हमेशा ही अपने पैतृक निवास में परिवार के एक सदस्य के रूप में पूजा के लिए चार दिन रहते आए हैं।
मुखर्जी अपने दादा जंगलेश्वर मुखर्जी द्वारा स्थापित परंपरा का पालन करने के प्रति बहुत गंभीर रहे हैं।

पिछले साल तक मुखर्जी मिट्टी के कलश में जल भरने के लिए गांव के नहर तक पैदल जाया करते थे। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि प्रणब किस तरह से पूजा के रस्मों को करेंगे और वह नहर तक जाएंगे या नहीं।
नहर में मौजूद घाट की मरम्मत की गई है और इसे घेर दिया गया है।

मंदिर, इसके मुख्य द्वार और चहारदीवारी का जीर्णोद्धार किया गया है। यह परिसर मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी की निगरानी में है। मुखर्जी के घर में काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि मकान में करीब 15 साल बाद पुताई हुई है।

मुखर्जी के घर में दुर्गा पूजा कोई बड़ा समारोह जैसा नहीं होता है बल्कि आगंतुकों के लिए बहुत ही साधारण व्यवस्था होती है। पंडाल में बैठे अति विशिष्ट लोगों सहित हजारों लोग प्रसाद लेते हैं और मुखर्जी बड़ी ही विनम्रता के साथ हर किसी से अनुरोध करते हुए नजर आते हैं कि बगैर प्रसाद लिए कोई नहीं जाएं।

पूजा के दिनों में मुखर्जी अपने परिवार के सदस्यों, पुराने दोस्तों और अन्य लोगों से बात करते हुए समय बिताते हैं। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि इस साल प्रोटोकॉल और सुरक्षा व्यवस्था के चलते ऐसा दृश्य नहीं होगा। वहीं, उनके परिवार के सदस्य और व्यवस्था में जुटे लोग इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि प्रोटोकॉल पर परंपरा को तरजीह दी जाएगी। (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 18, 2012, 12:40

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