Last Updated: Saturday, February 9, 2013, 13:37

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के महज पांच दिन बाद ही संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को आज सुबह यहां तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई ।
गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘राष्ट्रपति ने तीन फरवरी को अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दी थी और इसके बाद मैंने 4 फरवरी को मंजूरी दी और एक न्यायिक अधिकारी द्वारा तारीख और समय की पुष्टि की गई। अफजल को आज सुबह आठ बजे फांसी दी गई।’
शिन्दे ने कहा कि अफजल गुरु की दया याचिका को नामंजूर करने की सिफारिश पहले 2011 में गृह मंत्रालय ने की थी। पिछले साल प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने सभी लंबित दया याचिकाएं पुनर्विचार के लिए मुझे भेजीं, जब मैंने अगस्त 2012 में गृह मंत्रालय का प्रभार संभाला।’ उन्होंने कहा कि नए राष्ट्रपति ने सभी दया याचिकाएं पुनर्विचार के लिए भेजी थीं। ‘मैंने फाइल का सतर्कता से अध्ययन किया और 21 जनवरी को राष्ट्रपति से सिफारिश की कि गुरु की याचिका नामंजूर कर दी जाए।’
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अफजल को फांसी दिए जाने के तुरंत बाद संवाददाताओं को बताया, ‘अफजल गुरु को सुबह आठ बजे फांसी दी गयी।’ विमला मेहरा (महानिदेशक जेल) ने बताया कि अफजल की सेहत ठीक थी और उसे मजिस्ट्रेट, डॉक्टर तथा जेल के अन्य अधिकारियों के समक्ष फांसी दी गई। वह सुबह जल्दी उठ गया था और उसे आम दिनों की तरह भोजन दिया गया। तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अफजल को सुबह साढ़े सात बजे फांसी के तख्ते पर ले जाया गया। उस समय वह बेहद शांत और स्थिर चित्त लग रहा था।
उन्होंने बताया कि अफजल को फांसी के तुरंत बाद जेल नंबर तीन के समीप दफना दिया गया। केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने बताया कि उत्तरी कश्मीर के सोपोर में रह रहे अफजल के परिजनों को सरकार के इस फैसले के बारे में बता दिया गया था कि उसकी दया याचिका खारिज कर दी गई है।
13 दिसंबर 2001 को हथियारों से लैस पांच आतंकवादियों ने संसद भवन परिसर में घुसकर हमला बोला था। आतंकवादियों द्वारा की गयी अंधाधुंध गोलीबारी में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मचारी, सीआरपीएफ की एक महिला कर्मचारी, संसदीय वाच एंड वार्ड के दो कर्मचारी तथा एक माली की मौत हो गयी थी। इस हमले में घायल एक पत्रकार की बाद में मौत हो गई थी। सुरक्षा बलों ने पांचों हमलावर आतंकवादियों को मार गिराया था। हमले के कुछ ही घंटों के भीतर अफजल को राष्ट्रीय राजधानी में एक बस से गिरफ्तार कर लिया गया था।
गृह मंत्री शिंदे ने बताया, ‘मैंने फाइल को सावधानीपूर्वक पढ़ा और 21 जनवरी को राष्ट्रपति ने अफजल गुरु की याचिका खारिज किए जाने की सिफारिश की।’ उन्होंने बताया कि गुरु के मामले को गृह मंत्रालय ने 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति को भेजा था। उसके बाद नए राष्ट्रपति और नए गृह मंत्री आए। राष्ट्रपति मुखर्जी ने गुरु की फाइल को गृह मंत्रालय को भेजा। गृह मंत्री ने बताया, ‘हमने 21 जनवरी 2013 को फाइल राष्ट्रपति को भेजी। तीन फरवरी को राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते हुए गुरु की फाइल गृह मंत्रालय को लौटा दी।’
उन्होंने बताया, ‘चार फरवरी को मैंने फाइल पर अपने हस्ताक्षर किए और आगे की कार्रवाई के लिए फाइल को विभाग को भेज दिया। इसमें निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया और उसके बाद यह तय किया गया कि फांसी 9 फरवरी 2013 (आज) को सुबह आठ बजे दी जाएगी।’ गुरु को फांसी दिए जाने में अपनाई गयी प्रक्रिया मुंबई हमलों के दोषी पाकिस्तानी नागरिक अजमल कसाब को पिछले वर्ष 21 नवंबर को पुणे की यरवदा जेल में दी गई फांसी की याद दिलाती है। एक दशक से मौत की सजा पाए अफजल को फांसी दिए जाने की प्रक्रिया को पूरी तरह गोपनीय रखा गया था। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 9, 2013, 11:09