Last Updated: Saturday, February 9, 2013, 19:11

नई दिल्ली : संसद पर हमला मामले में दोषी जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी अफजल गुरू को सुबह जब फांसी पर लटकाने के लिए ले जाया जा रहा था, उस समय उसके चेहरे पर पश्चाताप का कोई भाव नहीं था। अफजल की फांसी की पूरी तैयारी से वाकिफ तिहाड़ जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया, ‘‘ अंतिम क्षणों के दौरान वह बेहद शांत और स्थिर था। उसके चेहरे पर पछतावे का कोई भाव नहीं दिख रहा था।’’ तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘‘अंतिम क्षणों में वह काफी शांत और स्थिर था। वह काफी स्थिरचित्त दिख रहा था।’’ अधिकारी ने बताया कि अफजल को जेल नंबर तीन में रखा गया था। उसे कल शाम ही फांसी के बारे में सूचित कर दिया गया था। उसके बाद वह ‘‘कुछ बेचैन’’ दिख रहा था।
उत्तरी कश्मीर के रहने वाली 43 वर्षीय अफजल गुरू को सुबह आठ बजे जेल नंबर तीन में गोपनीय ढंग से फांसी दे दी गयी। फांसी के दौरान एक मजिस्ट्रेट, एक डाक्टर और जेल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि गुरू को सुबह करीब पांच बजे जगाया गया और चाय दी गयी। गुरू ने जगने के तुरंत बाद नमाज अदा की। उसे साढ़े सात बजे फांसी के तख्ते की ओर ले जाया गया। यह पूछे जाने पर कि क्या अंतिम क्षणों में उसे कोई पछतावा था, जेल महानिदेशक विमला मेहरा ने कहा, ‘‘ वह खुश और स्वस्थ था। यह आपके सवाल का जवाब है।’’
गुरू को फांसी के तख्ते की ओर ले जाने के पूर्व एक डाक्टर ने उसके स्वास्थ्य का परीक्षण किया। मेहरा ने कहा कि फांसी में सामान्य प्रक्रिया का पालन किया गया। जेल के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि फांसी के बाद उसके शव को जेल परिसर में ही धार्मिक रिवाजों का पालन करते हुए दफना दिया गया।
अफजल उर्फ गुरू फांसी दिए जाने के मुद्दे पर करीब दस साल से अधिक समय तक तिहाड़ जेल में रहा। उसे वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले में दोषी ठहराया गया था। इस घटना में नौ लोगों की मौत हो गयी थी।
जेल अधिकारियों ने उसकी आखिरी इच्छा या उसके आखिरी शब्द आदि के बारे में कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया। पूर्व फल व्यवसायी गुरू को संसद पर हमला करने वाले आतंकवादियों को पनाह देने और षडयंत्र रचने का दोषी ठहराया गया था।
एक विशेष अदालत ने उसे 2002 में फांसी की सजा दी थी जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय ने 2005 में सही ठहराया था। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पिछले दिनों गुरू की दया याचिका को नामंजूर कर दिया था। गुरू के सोपोर में रहे रहे परिवार को सरकार के फैसले के बारे में सूचित कर दिया गया था कि उसकी दया याचिका को खारिज कर दिया गया है।
हालांकि गुरू के वकीलों नंदिता हक्सर और एन पंचोली ने कहा कि फांसी देने के सरकार के फैसले के बारे में उसके परिवार को सूचित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि परिवार को फैसले के बारे में सूचित नहीं किया गया और न्यूज चैनलों से उन्हें इसकी जानकारी मिली। उसका परिवार सोपोर में है और कफ्र्यू के कारण वे नहीं आ सकते। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 9, 2013, 19:11