Last Updated: Wednesday, September 26, 2012, 19:14

नई दिल्ली : आर्थिक सुधारों के बारे में सरकार के नए कदमों का एक तरह से अनुमोदन कराने के प्रयासों के तहत संप्रग समन्वय समिति की गुरुवार को बैठक बुलाई गई है। दो दिन पहले ही कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पूरी तरह से समर्थन किया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली समिति की बैठक में देश के समक्ष उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों पर सत्तारुढ़ गठबंधन की ओर से समन्वित प्रतिक्रिया तैयार करने का प्रयास किए जाने की उम्मीद है।
संप्रग समन्वय समिति की बैठक महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के इस्तीफे के कारण उत्पन्न राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि में बुलाई गई है। इस संकट के कारण महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन में दरारें बढ़ गई हैं। इस समिति का गठन पिछले महीने संप्रग के सुचारू रूप से कामकाज सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया था जब कांग्रेस के सहयोगी राकांपा ने सत्तारुढ़ गठबंधन में समन्वय की कमी का मुद्दा उठाया था।
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले तृणमूल कांग्रेस के संप्रग गठबंधन से अलग होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली समन्वय समिति की यह पहली बैठक है। संप्रग सरकार की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी रही तृणमूल के लोकसभा में 19 सांसद हैं। तृणमूल ने मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई, डीजल की कीमतों में वृद्धि और रसोई गैस सिलेंडर की राशनिंग के विरोध में सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या राकांपा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजीत पवार के इस्तीफे के मामले को समन्वय समिति के समक्ष उठाएगी, केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने इसका उत्तर नकारात्मक दिया। यह बैठक ऐसे समय में बुलाई गई है जब सरकार को आर्थिक सुधारों के नए कदमों के बारे में विपक्ष के तीखे हमलों का सामना करना पड़ रहा है। संप्रग की एक अन्य घटक द्रमुक ने भी सरकार के कदमों के विरोध में 20 सितंबर को बंद का आयोजन किया था। इस बैठक में आर्थिक मुद्दों पर उत्पन्न चुनौतियों के बारे में सत्तारुढ़ गठबंधन की ओर से एक प्रतिक्रिया तैयार करने का प्रयास किया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 26, 2012, 19:14