अब भी नहीं संभले तो कुछ भी नहीं बचेगा : सुंदरलाल बहुगुणा

अब भी नहीं संभले तो कुछ भी नहीं बचेगा : सुंदरलाल बहुगुणा

अब भी नहीं संभले तो कुछ भी नहीं बचेगा : सुंदरलाल बहुगुणा नई दिल्ली : उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ को पहाड़ों के साथ छेड़खानी का नतीजा बताते हुए मशहूर पर्यावरणविद् सुंदर लाल बहुगुणा ने कहा है कि इस त्रासदी के बाद भी नहीं संभले तो सब कुछ खत्म हो जाएगा जबकि एक और पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अनिल जोशी ने आपदा प्रबंधन में स्थानीय लोगों को शामिल करने का सुझाव दिया है।

बहुगुणा ने बातचीत में कहा, ‘पहाड़ों के साथ छेड़छाड़ होगी तो कुदरत ऐसे ही सजा देती रहेगी। मैं बरसों से कहता आया हूं कि पहाड़ों पर अंधाधुंध निर्माण कार्य न किए जाएं। अब नतीजे तो भुगतने ही होंगे। ऐसी प्राकृतिक आपदा तो मैंने कभी नहीं देखी। अभी भी नहीं संभले तो सब खत्म हो जाएगा।’ उन्होंने चीड़ के पेड़ों की बजाय अखरोट के पेड़ लगाने की सलाह देते हुए कहा, ‘अंग्रेजों ने पूरे उत्तराखंड में चीड़ के पेड़ लगा दिए जबकि राज्य में चौड़े पत्ते वाले अखरोट के पेड़ों की जरूरत है जो पानी को रोकने की क्षमता रखते हैं।’

हिमालय पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन (हेस्को) के संस्थापक पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि आपदा प्रबंधन में स्थानीय लोगों को शामिल करे। उन्होंने कहा, ‘आपदा प्रबंधन का काम दिल्ली या कहीं और सरकारी दफ्तरों में बैठकर नहीं किया जा सकता। इसमें भुक्तभोगियों के सुझाव लेने जरूरी हैं। स्थानीय लोगों को इसमें शामिल करके ही इसे मजबूत बनाया जा सकता है।’ जोशी ने कहा कि यह आपदा भले ही प्राकृतिक हो लेकिन इसका बार-बार होना इंसानी दखल का नतीजा है।

उन्होंने कहा, ‘पिछले एक दशक में लगातार उत्तराखंड में बादलों का फटना और भूस्खलन जैसी घटनाएं हो रही हैं लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ने एहतियातन कोई कदम नहीं उठाये। जब क्षमता से अधिक तादाद में तीर्थयात्री केदारनाथ जा रहे थे तो मौसम विभाग ने अलर्ट क्यों नहीं किया।’ उन्होंने कहा कि यह ध्यान में रखना होगा कि विकास का कौन सा मॉडल अपनाया जाए जिससे इस तरह की आपदाओं को नियंत्रित किया जा सके। (एजेंसी)

First Published: Friday, June 21, 2013, 14:42

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