Last Updated: Friday, August 9, 2013, 22:10
नई दिल्ली : दोषी विधायकों और सांसदों को अयोग्य ठहराने को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनाव आयोग द्वारा लागू करने के साथ ही सरकार इसकी समीक्षा कराकर इसे अप्रभावी करने और संवैधानिक संशोधन के लिए सभी दलों को एकजुट करने की खातिर कड़ा परिश्रम कर रही है।
कानून मंत्रालय में उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज बताया कि सरकार आगामी दिनों में समीक्षा करा सकती है। साथ ही वह राजनीतिक दलों का समर्थन मिलने पर इस संबंध में एक संविधान संशोधन लाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जहां राजनीतिक दलों में एकजुटता है। वहीं, संविधान में संशोधन लाने के लिए सरकार सावधानीपूर्वक आगे बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दस जुलाई के फैसले में निर्वाचन कानून में एक प्रावधान को खत्म कर दिया था जो बड़ी अदालतों में अपील के निलंबित रहने के आधार पर दोषी सांसदों, विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने से बचाता है।
इसने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि दोषी ठहराए जाने के दिन से ही सांसद, विधायक और विधान पाषर्द अयोग्य माने जाएंगे। कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने हाल में इस मुद्दे पर कहा था कि विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ वार्ता जारी है। जो भी निर्णय किया जाएगा वह सर्वसम्मति पर आधारित होगा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि आदेश की समीक्षा के लिए सरकार उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है और वर्तमान कानूनों में संशोधन भी कर सकती है। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 9, 2013, 22:10