‘असम समझौते पर फिर से चर्चा की जरूरत’

‘असम समझौते पर फिर से चर्चा की जरूरत’


नई दिल्ली : हिंसाग्रस्त असम में लोगों के जख्मों पर मरहम रखने की प्रक्रिया शुरू करने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि ऐतिहासिक असम समझौते पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है और इसे न्याय एवं राष्ट्रहित की भावना से मौजूदा परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में मुखर्जी ने कहा कि असम के जख्मों को भरने के लिए ठोस प्रयास किए गए, जिनमें असम समझौता भी शामिल है, जो हमारे युवा एवं प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का विचार था। हमें उस पर दोबारा चर्चा करनी चाहिए और न्याय एवं राष्ट्रहित की भावना से उसे मौजूदा परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

जातीय समूहों के बीच तनाव पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश की स्थिरता के लिए खतरा बनने वाली पुरानी आग पूरी तरह बुझी नहीं है। उसमें से अभी भी धुआं निकलना जारी है। मुखर्जी ने कहा कि हमारे अल्पसंख्यकों को आघात से सुरक्षा, तसल्ली और समझ की जरूरत है। हिंसा कोई विकल्प नहीं है बल्कि हिंसा अपने से कहीं बडी हिंसा को आमंत्रित करती है। उन्होंने कहा कि नयी आर्थिक बेहतरी के लिए क्षेत्र में शांति जरूरी है जो हिंसा की प्रतिस्पर्धी वजहों को शांत कर सकती है। निचले असम के जिलों में बोडो और बांग्लादेशी आव्रजकों के बीच संघर्ष से कम से कम 77 लोग मारे गए और लगभग चार लाख लोग बेघर हो गए। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 14, 2012, 21:05

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