Last Updated: Wednesday, September 12, 2012, 12:35

नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी को लेकर आज कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इसकी तुलना आपातकाल से की तथा आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार की ‘कठोर मानसिकता’ का जन्म ‘असफलता एवं हताशा’ से हुआ है।
आडवाणी ने अपने ब्लाग पर लिखा, ‘‘भारत को स्वतंत्र हुए 65 वर्ष बीत चुके हैं। मैं नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में वर्ष 1975-1977 के आपातकाल के समय को सबसे खराब मानता था लेकिन राजनीतिक कार्टूनिस्ट एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले असीम त्रिवेदी के साथ जो कुछ हुआ उसे देखकर मैंने यह सोचना शुरू कर दिया है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य आपातकाल से भी बदतर है।’’
आडवाणी ने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा कि जानेमाने कार्टूनिस्ट अबु अब्राहम ने आपातकाल लागू होने की घोषणा होने के तत्काल बाद आपातकाल से संबंधित दस्तावेजों पर इंदिरा गांधी की ओर से हस्ताक्षर किये जाने तथा इंदिरा गांधी के 20 सूत्री कार्यक्रम पर कार्टून प्रकाशित किये थे। उन्होंने कहा, ‘‘यदि वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था वर्ष 1975-1977 में सत्ता में होती तो मुझे इसमें कोई शक नहीं कि असीम त्रिवेदी की तरह ही अबु अब्राहम भी सलाखों के पीछे होते।
आडवाणी ने कहा कि आपातकाल ने जहां एक ओर सरकार को असाधारण शक्तियां प्रदान की थीं, वहीं ‘‘वर्तमान सत्ता की कठोर मानसिकता का जन्म असफलता और हताशा से हुआ है।’’ उन्होंने युवा कार्टूनिस्ट त्रिवेदी का बचाव करते हुए कह कि ‘‘त्रिवेदी का गुनाह यह है कि उन्होंने अपना कार्टून अन्ना आंदोलन के दौरान प्रकाशित किया जिसे सरकार आपत्तिजनक मानती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘त्रिवेदी को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है, यह एक ऐसा अपराध है कि जिसके लिए आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। त्रिवेदी को नवम्बर 2011 में बनाये गए और प्रदर्शित किये गए कार्टून के लिए गत सप्ताह मुम्बई में गिरफ्तार किया गया था।’’
आडवाणी ने आपातकाल के समय आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत अपनी हिरासत के दौरान लिखी अपनी डायरी का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने उस समय देश के एकमात्र कार्टून साप्ताहिक का प्रकाशन बंद करने के बारे में लिखा है। भाजपा नेता ने इसके साथ ही साप्ताहिक के 31 अगस्त 1975 को प्रकाशित उस संपादकीय का भी उल्लेख किया जब उसे बंद कर दिया गया था।
आडवाणी ने संपादकीय में शंकर के हवाले से कहा, ‘‘तानाशाह हंसी बर्दाश्त नहीं कर सकते क्योंकि लोग तानाशाह पर हंस सकते हैं तथा ऐसा नहीं होता। हिटलर के शासन के दौरान कोई अच्छी कॉमेडी, अच्छा कार्टून तथा कोई मजाकिया नकल नहीं की गई।’’ (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 12, 2012, 12:35