Last Updated: Tuesday, February 21, 2012, 16:07
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मंगलवार को आखिर मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर एनसीटीसी पर सरकार के रुख को स्पष्ट करना ही पड़ा। प्रधानमंत्री ने छह मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में कहा कि एनसीटीसी का मुख्य उद्देश्य देश भर में आतंकवाद निरोधक प्रयासों में समन्वय करना है। इसी कारण से एनसीटीसी को आईबी के तहत रखा गया है न कि अलग संगठन बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों को लिखा कि मैंने आपकी चिंताओं पर गौर किया और मैं गृह मंत्री से कहूंगा कि वह मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श से उनका उपयुक्त समाधान करें।
गौर हो कि एनसीटीसी के मसले पर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विरोध के बाद प्रधानमंत्री को आखिरकार हस्तक्षेप करना ही पड़ा। इससे पहले, संसदीय समिति की बैठक में गैर कांग्रेसी दलों के सदस्यों ने एनसीटीसी के गठन के फैसले पर केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह से सवाल जवाब किए।
गृह सचिव के सामने सवाल किया गया कि केंद्र सरकार राज्यों से परामर्श के बिना आतंकवाद रोधी संस्था के गठन पर एकपक्षीय फैसला कैसे कर सकती है। सूत्रों के अनुसार विपक्षी सदस्यों ने समिति के अध्यक्ष और भाजपा नेता एम. वेंकैया नायडू से कहा कि उन्हें गृह मंत्रालय से इस प्रस्ताव पर रोक लगाने की सिफारिश करनी चाहिए। भाजपा, बीजद, अन्नाद्रमुक और वाम दलों के सदस्यों की राय है कि एनसीटीसी राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करेगा और संघीय ढांचे पर असर डालेगा।
दर्जन भर राज्यों के मुख्यमंत्री पहले ही एनसीटीसी के निर्माण पर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। उनका कहना है कि इससे राज्यों के अधिकारों से समझौता होगा। आज की बैठक में सदस्यों ने सिंह से कहा कि इकाई के गठन के फैसले से पहले राज्यों के साथ सलाह मशविरा होना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक कुछ सदस्यों ने कहा कि केंद्र की स्थापना से संघीय ढांचे के सिद्धांतों पर हमला होगा और केंद्र तथा राज्यों के बीच रिश्ते प्रभावित होंगे।
उन्होंने कहा कि बैठक में मौजूद कांग्रेसी सदस्यों ने इस मुद्दे पर व्यापक विचार विमर्श की वकालत की। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सरकार के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि शासकीय आदेश के माध्यम से एनसीटीसी का गठन करना संघीय ढांचे का उल्लंघन है। उन्होंने इस फैसले पर राज्यों के बीच आम सहमति होने तक रोक लगाने की मांग की।
First Published: Wednesday, February 22, 2012, 13:57