आडवाणी को मनाने का दौरा जारी, इस्‍तीफा वापस लेने की मांग तेज

आडवाणी को मनाने का दौरा जारी, इस्‍तीफा वापस लेने की मांग तेज

आडवाणी को मनाने का दौरा जारी, इस्‍तीफा वापस लेने की मांग तेजज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी को भाजपा चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने के विरोध में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की ओर से पार्टी के प्रमुख पदों से इस्तीफा दे देने से न सिर्फ मुख्य विपक्षी दल संकट और सकते में आ गया है बल्कि उसके सहयोगी दल भी असहज महसूस कर रहे हैं। आडवाणी को मनाने के प्रयास में पार्टी के संसदीय बोर्ड की आपात बैठक में उनके इस्तीफे को सर्वसम्मति से नामंजूर कर दिया गया है। वहीं, आडवाणी से इस्‍तीफा वापस लेने की मांग तेज हो गई है।

इस बीच, पार्टी के कई वरिष्‍ठ नेता आडवाणी को मनाने के लिए उनके घर पहुंचे। जिसमें जसवंत सिंह, शिवराज सिंह चौहान, नितिन गडकरी, उमा भारती आदि शामिल हैं। दोपहर में शिवराज सिंह चौहान भी आडवाणी से मिलने उनके घर जाएंगे।

पार्टी की वरिष्‍ठ नेता सुषमा स्‍वराज ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि हम साथ हैं और एकजुट हैं। वहीं पार्टी के कई वरिष्‍ठ नेताओं ने आडवाणी से इस्‍तीफा वापस लेने का आग्रह किया है।

उधर, संघ के नेता राम माधव ने कहा कि आडवाणी का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने ट्वीट किया, `उम्मीद है कि पार्टी नेता उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए राजी कर लेंगे।’ मोदी को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख नियुक्त किए जाने के मुद्दे पर पार्टी के सभी पदों से लाल कृष्ण आडवाणी के इस्तीफे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। संघ का यह भी मानना है कि बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है।

इससे पहले, सोमवार को पार्टी की निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई संसदीय बोर्ड की आपात बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि आडवाणीजी का इस्तीफा न तो मंजूर किया है और न ही किया जाएगा। भाजपा के संस्थापक सदस्य और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सबसे कद्दावर नेता 85 वर्षीय आडवाणी ने गोवा अधिवेशन में मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के दूसरे ही दिन पार्टी के संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और चुनाव समिति से इस्तीफा दे दिया है।

पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को बहुत ही कड़े शब्दों में लिखे अपने त्यागपत्र में आडवाणी ने कहा कि भाजपा अब पहले जैसी ‘आदर्श पार्टी’ नहीं रह गई है, जिसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया था। बोर्ड की ओर से आडवाणी का इस्तीफा नामंजूर करने संबंधी सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव को लेकर देर रात सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, अनंत कुमार और रविशंकर प्रसाद आडवाणी के निवास पर गए और उन्हें त्यागपत्र वापस लेने के लिए मनाया गया।

आडवाणी ने राजनाथ को लिखे अपने इस्तीफा पत्र में कहा कि पिछले कुछ समय से मैं पार्टी की वर्तमान कार्यप्रणाली या वह जिस रास्ते जा रही उससे सामंजस्य बिठाने में कठिनाई महसूस कर रहा हूं। हमारे अधिकतर नेता अपने व्यक्तिगत एजेंडा को लेकर चिंतित हैं। वह गोवा में सात जून से हुए पार्टी के तीन दिवसीय अधिवेश में भी नहीं गए। यह पहला अवसर था जब उन्होंने पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारियों और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा नहीं लिया।

मोदी को राष्ट्रीय स्तर की भूमिका दिए जाने से नाखुश भाजपा के प्रमुख सहयोगी दल जेडीयू को भी आडवाणी के कदम पर आश्चर्य हुआ और उसने संकेत दिया कि इस घटनाक्रम के मद्देनजर वह राजग में अपनी स्थिति की समीक्षा करेगा।

उधर, मोदी ने भी ट्वीट किया, ‘फोन पर आडवाणी जी से विस्तार से बात हुई। उनसे उनके निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। मुझे लगता है कि वह लाखों कार्यकर्ताओं को निराश नहीं करेंगे। मोदी को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश किए जाने के पुरजोर विरोधी जदयू नेता तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी गोवा में भाजपा के निर्णय के सभी पहलुओं पर चर्चा करेगी और इस मामले में अपना रुख व्यक्त करेगी। जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि आडवाणी का इस्तीफा गंभीर मामला है और राजग की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। जदयू अपनी बैठक बुलाएगा और आगे के बारे में फैसला करेगा। भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी दल शिवसेना ने कहा कि आडवाणी का फैसला पीड़ादायी है और उनके बिना राजग या भाजपा की कल्पना नहीं की जा सकती।

मोदी के कद बढ़ने का खुलकर स्वागत करने वाले एक और सहयोगी अकाली दल ने आडवाणी के फैसले पर कहा कि यह भाजपा का अंदरूनी मामला है। संघ ने आडवाणी के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और उम्मीद जताई कि पार्टी नेता उन्हें मना लेंगे।

First Published: Tuesday, June 11, 2013, 09:24

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