Last Updated: Tuesday, July 2, 2013, 13:28

नई दिल्ली : भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने की मांग के बाद मंगलवार को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विरोध के बावजूद बल प्रयोग के जरिए हैदराबाद का भारत में एकीकरण किया।
अपने ब्लाग की नई पोस्टिंग में उन्होंने 564 रियासतों का भारतीय संघ में एकीकरण किए जाने की प्रक्रिया के समय पटेल के अधीन कार्य करने वाले वीपी मेनन की पुस्तक के हवाले से कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री ने नेहरू के विरोध के बावजूद सेना को हैदराबाद भेजा।
भाजपा नेता ने एमके नायर की पुस्तक ‘विद नो इल फीलिंग टू एनीबडी’ का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि हैदराबाद के लिए नेहरू संयुक्त राष्ट्र का रास्ता चुनने के पक्ष में थे। जैसा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर के मामले में किया लेकिन पटेल ने जब देखा कि निजाम बात मानने को तैयार नहीं हैं तो उन्होंने उन्हें वश में लाने के लिए बल प्रयोग का निर्णय किया।
आडवाणी ने अपने ब्लाग में हालांकि मुस्लिम बहुल आबादी वाले जम्मू कश्मीर और हैदराबाद की आपस में तुलना नहीं की है लेकिन यह संकेत जरूर दिया है कि हैदराबाद रियासत का जिस तरह भारत में विलय किया गया वह अनुकरणीय है। भाजपा अक्सर यह आरोप लगाती है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में एकीकरण करने के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने का नेहरू का फैसला गलत था। यह पार्टी सीमावर्ती जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 की भी मुखर विरोधी है।
आडवाणी ने हाल ही में इस अनुच्छेद को समाप्त करने की मांग की, जिससे राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके बीच वाकयुद्ध भी हुआ। उमर ने इस मांग का कड़ा विरोध करते हुए आडवाणी से सवाल किया कि राजग सरकार में जब वह गृह मंत्री थे तब उन्होंने यह बात क्यों नहीं की। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 2, 2013, 13:28