Last Updated: Tuesday, June 11, 2013, 00:06
ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी में दरार सोमवार को खुलकर सामने आ गई, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से इस्तीफा दे दिया। आडवाणी के इस्तीफे ने भाजपा में कोहराम मचा दिया। आडवाणी को मनाने के लिए दिग्गज नेताओं की ओर से की गईं कोशिशें सफल नहीं हई तो संसदीय बोर्ड ने सोमवार रात आडवाणी का इस्तीफा नामंजूर कर दिया।
माना जा रहा है कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को पार्टी की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के विरोध में आडवाणी ने यह कदम उठाया। भाजपा के संस्थापक सदस्य और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद पार्टी के सबसे मजबूत स्तंभ 85 वर्षीय आडवाणी ने पार्टी के सभी मुख्य संगठनों-संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और चुनाव समिति से इस्तीफा दे दिया।
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेजे अपने त्यागपत्र में आडवाणी ने कहा कि भाजपा अब वह आदर्शवादी पार्टी नहीं रही, जिसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख और वाजपेयी ने की थी। याद रहे कि राजनाथ सिंह ने ही रविवार को मोदी को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था।
आडवाणी ने कहा, ‘पिछले कुछ समय से मैं पार्टी के मौजूदा कामकाज और वह जिस दिशा में जा रही है इसके बीच सामंजस्य बिठा पाने में कठिनाई महसूस कर रहा था।’ अपने एक पृष्ठ के इस्तीफे में आडवाणी ने लिखा, ‘हमारे अधिकतर नेताओं को इस समय अपने निजी एजेंडा से मतलब है।’ आडवाणी ने गोवा में आयोजित पार्टी के तीन दिन के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था और इसकी वजह अपनी खराब सेहत को बताया था। यह पहला मौका है जब आडवाणी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और उससे पहले होने वाली पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में शामिल नहीं हुए।
त्यागपत्र में आडवाणी ने कहा, ‘अपने पूरे जीवन में मुझे जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के साथ काम करके अपने लिए महान गर्व और अनंत संतोष का अनुभव हुआ।’ पार्टी को संचालित किए जाने के मौजूदा तरीके को त्रुटिपूर्ण मानते हुए उन्होंने पत्र के अंत में लिखा, ‘इसलिए मैंने पार्टी के तीन प्रमुख मंचों, जिनके नाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति हैं, से इस्तीफा देने का फैसला किया। इसे (पत्र) मेरा त्याग पत्र समझा जाए।’ आडवाणी ने दिन में 11 बजे यह पत्र राजनाथ सिंह को सौंपा। बाद में 12.30 बजे आडवाणी और सिंह के बीच बैठक हुई।
सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह और मोदी दोनों को आडवाणी के आवास पर उनका आशीर्वाद लेने जाना था, लेकिन आडवाणी ने सिंह से कहा कि वह अकेले उनसे मिलने आएं। दोनो के मिलने पर आडवाणी ने मोदी को नयी जिम्मेदारी दिए जाने पर अपने गुस्से और असंतोष का इजहार किया। समझा जाता है कि सिंह ने आडवाणी से अपना इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया, लेकिन पार्टी के वयोवृद्ध नेता ने कहा कि वह अपने फैसले पर अडिग हैं।
हालांकि पार्टी नेताओं, जिनमें अध्यक्ष राजनाथ सिंह शामिल थे, ने दावा किया था कि आडवाणी खराब सेहत के कारण गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नहीं हो सके। मोदी को भाजपा की चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपने का ऐलान करने के बाद राजनाथ सिंह ने कहा था, ‘जो कुछ हुआ, वह आम सहमति के आधार पर हुआ।’
वहीं, दिन भर भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने आडवाणी को मनाने की कोशिश की। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज आडवाणी के घर गईं और उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया लेकिन आडवाणी अपने फैसले पर अडिग रहे।
इस मुश्किल घड़ी से निकलने के लिए भाजपा की संसदीय बोर्ड की आपात बैठक शाम के वक्त बुलाई गई। बैठक में बोर्ड ने आडवाणी का इस्तीफा नामंजूर कर दिया और उनसे अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया। बैठक के बाद पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि बोर्ड के सभी सदस्यों ने आडवाणी का इस्तीफा नामंजूर किया है।
राजनाथ ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, ‘वह किसी भी सूरत में आडवाणी जी का इस्तीफा मंजूर नहीं कर सकते।’
First Published: Tuesday, June 11, 2013, 00:06