आतंक से जुड़ी हर जानकारी सिर्फ एक क्लिक पर

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नई दिल्ली : भारत के पास अब ऐसा केन्द्रीकृत एवं संपूर्ण डाटाबेस है, जिसमें आतंकवादियों, आतंकी वारदात और आतंकी संगठनों के बारे में नवीन जानकारी उपलब्ध है। ऐसे डाटाबेस के अभाव के कारण ही हिजबुल मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादी लियाकत अली शाह को लेकर विवाद खडा हुआ था और इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी यासीन भटकल कोलकाता पुलिस के हाथों रिहा हो गया था।

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि केन्द्र और राज्यों के स्तर पर सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियों और पुलिस के पास अब ऐसा डाटाबेस है जो पिछले लगभग एक महीने से काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि यह प्रणाली पहले से होती तो दिल्ली पुलिस के लिए यह जानना आसान होता कि लियाकत अली शाह ने दो साल पहले जम्मू कश्मीर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण के लिए आवेदन किया था या नहीं। दिल्ली पुलिस का दावा है कि शाह राष्ट्रीय राजधानी में आतंकवादी हमले करने के लिए पाकिस्तान से वापस लौटा है जबकि जम्मू कश्मीर पुलिस ने दावा किया है कि शाह हिज्ब का पूर्व आतंकवादी है और वह राज्य पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए आया था।

अधिकारी यह भी महसूस करते हैं कि यदि आतंकवादी सूचना प्रणाली (टीआईएस) होती तो चार साल पहले भटकल को कोलकाता पुलिस ने रिहा नहीं किया होता। उसे उस समय जाली नोट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। कोलकाता पुलिस को गलती का पता उस समय चला, जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और महाराष्ट्र पुलिस ने भटकल के बारे में उसे पूरा ब्यौरा दिया।

आतंकवादी सूचना प्रणाली (टीआईएस) की शुरूआत से सारे राज्य और केन्द्र आतंकवादियों से जुडी सूचना एक ही जगह ले-दे सकेंगे। इस आनलाइन प्लेटफार्म को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने लगभग महीने भर पहले शुरू किया है। हर राज्य को यूजर आईडी और पासवर्ड दिया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भी पासवर्ड दिया गया है। इस पोर्टल पर आतंकवादियों और आतंकी गतिविधियों से जुडी हर जानकारी होगी। राज्यों से उम्मीद की गयी है कि वे इस वेबसाइट पर आतंकी वारदात के बारे में पूरा ब्यौरा देंगे ताकि कोई अन्य राज्य या केन्द्र केवल एक क्लिक पर सारी जानकारी हासिल करने की स्थिति में रहे। मोबाइल के जरिए भी वेबसाइट से जुडा जा सकता है।

टीआईएस को इस तरह डिजाइन किया गया है कि हर राज्य की खुफिया एजेंसी या सुरक्षा एजेंसी अलग अलग आईडी और पासवर्ड के जरिए इसे खोल सकती है। वेबसाइट पर आतंकवादियों के फोटो, फिंगरप्रिंट और उनके द्वारा अंजाम दी गयी आतंकी वारदात का ब्यौरा होगा। मुकदमे की स्थिति, अपील की स्थिति, आत्मसमर्पण का आवेदन (यदि कोई है) और वित्तीय लेनदेन से जुडी पूरी जानकारी मुहैया होगी।

राज्यों से पोर्टल को दैनिक आधार पर अपडेट करने के लिए कहा गया गया है। सिंगल आनलाइन प्रणाली के विकास से देश में आतंकी गतिविधियों पर संपूर्ण और नवीन डाटा उपलब्ध होगा । इस परियोजना का उद्देश्य सुरक्षा एवं पुलिस एजेंसियों के काम का बोझ कम करना और जनता की सुरक्षा बढाना है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 28, 2013, 13:01

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