आम आदमी की जद में हों जरूरी दवाओं की कीमतें : SC

आम आदमी की जद में हों जरूरी दवाओं की कीमतें : SC

आम आदमी की जद में हों जरूरी दवाओं की कीमतें : SCनई दिल्ली : चिकित्सकों द्वारा मरीजों को लिखी जा रही दवाओं की कीमतें आम आदमी की पहुंच से बाहर होने के तथ्य को इंगित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि केन्द्र को ऐसी औषधि नीति तैयार नहीं करनी चाहिए जिससे जरूरी दवाओं की कीमतों में वृद्धि हो।

न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने पिछले 17 साल में ऐसी दवाओं की कीमतों को नियंत्रित नहीं करने के लिए केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया है। न्यायाधीशों ने कहा कि चिकित्सकों द्वारा मरीजों को लिखी जा रही दवाएं आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं और ‘आम आदमी के हितों के खिलाफ जाने वाले किसी भी मूल्य निर्धारण फार्मूले को रद्द कर देना चाहिए।’ न्यायाधीशों ने 1999 के बाद और न्यायालय में मामला लंबित होने की नौ साल की अवधि के दौरान और दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने के बारे में कोई फैसला नहीं करने के लिए केन्द्र सरकार की आलोचना की।

नई औषधि नीति से दवाओं की कीमतों में वृद्धि होने की दलील दिये जाने पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘यह स्पष्ट रहना चाहिए कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें निर्धारित करने के फार्मूले में बदलाव नहीं होना चाहिए। मूल्य नीति ऐसी नहीं होनी चाहिए जिसकी वजह से दवाओं की कीमतें बढ़ जाएं।’ न्यायालय ने कहा कि औषधि निर्माताओं के प्रति सरकार चिंतित हो सकती है लेकिन उसे आम आदमी की भी कुछ परवाह करनी चाहिए।

न्यायालय अखिल भारतीय ड्रग्स एक्शन नेटवर्क और दूसरे व्यक्तियों द्वारा 2003 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में शिकायत की गयी है कि इस समय करीब 78 दवाएं औषधिक (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 1995 के तहत है जबकि शेष अन्य दवाएं कीमतों के हिसाब से आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने अतिरिक्त सालिसीटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि नई औषधि नीति अधिसूचित करने के बारे में वह सरकार से जरूरी निर्देश प्राप्त करें।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘अदालतें नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप करने में बहुत धीमी हैं लेकिन यदि सरकार 17 मामलों में निर्णय लेने में विफल रहती हो तो फिर आदमी कहां जाएगा? न्यायालय ने कहा कि यह आम आदमी से जुड़ा मामला है और इस मामले में सरकार का हलफनामा संतोषजनक नहीं है। सिद्धार्थ लूथरा ने सरकार से निर्देश प्राप्त करने के बाद न्यायालय को सूचित किया कि नई औषधि नीति 25 नवंबर को अधिसूचित की जाएगी। इस पर कोर्ट ने औषधियों की कीमतों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई 27 नवंबर के लिए स्थगित कर दी। (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 11, 2012, 23:07

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