Last Updated: Wednesday, November 7, 2012, 00:42
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कापरेरेट घरानों के लिए संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया की सुनी गयी समूची टेलीफोन वार्ताओं का लिप्यांतरण करने हेतु आज आय कर विभाग को दो और महीने की मोहलत प्रदान कर दी। न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि आयकर विभाग सभी 5800 वार्ताओं का लिप्यांतरण आठ जनवरी को न्यायालय में पेश करे। यह वार्ताएं एक सौ से भी अधिक घंटे की है। इससे पहले, आय कर विभाग की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ए एस चंडियोक ने न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें यह काम पूरा करने के लिए चार माह का समय दिया जाये।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘सारी कवायद दो महीने में पूरी की जाये। आपको इससे अधिक समय देना संभव नहीं है।’’ इस बीच, आय कर विभाग ने न्यायालय को सूचित किया कि उसने अभी तक 52.7 घंटों की वार्ता का लिप्यांतरण कर लिया है। विभाग ने यह विवरण सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश किया। लेकिन न्यायालय ने इसका अवलोकन नहीं किया और स्प्ष्ट किया कि सारी वार्ता का लिप्यांतरण मिलने के बाद ही वह इस पर गौर करेगा। वित्त मंत्री को 16 नवंबर, 2007 को मिली शिकायत के आधार पर नीरा राडिया के टेलीफोन की निगरानी की प्रक्रिया के दौरान यह बातचीत रिकार्ड की गयी थी। इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि नौ साल के भीतर नीरा राडिया ने तीन सौ करोड़ रुपए का कारोबार खड़ा कर लिया है।
न्यायालय ने नीरा राडिया के टेलीफोन की बातचीत 180 दिन रिकार्ड की थी। पहली बार 20 अगस्त, 2008 से 60 दिन के लिए और फिर 19 अक्तूबर से 60 दिन के लिए टेलीफोन वार्ता रिकार्ड की गयी थी। इसके बाद आठ मई, 2009 के आदेश के तहत 11 मई से उसका टेलीफोन फिर से 60 दिन के लिए निगरानी पर रखकर उसकी बातचीत रिकार्ड की गयी थी।
न्यायालय ने टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा की याचिका पर सुनवाई के दौरान आय कर विभाग को यह समय दिया। रतन टाटा ने टेलीफोन टैपिंग के अंश लीक होने के मामले में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 29 नवंबर, 2010 को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि टेलीफोन वार्ता के अंश लीक होने से संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है जिसमे निजता का अधिकार भी शामिल है। लेकिन न्यायालय ने इस याचिका का दायरा बढ़ाते हुए आयकर विभाग से जवाब तलब किया था। न्यायालय जानना चाहता था कि टेलीफोन टैपिंग के आधार पर उसने क्या कार्रवाई की है।
न्यायालय ने आयकर महानिदेशालय :जांच: को निर्देश दिया था कि इस बातचीत का लिप्यांतरण करने के लिए अधिकारियों का एक दल गठित किया जाये। आयकर महानिदेशालय ने ही नीरा राडिया के टेलीफोन की टैपिंग का आदेश दिया था। गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि व्यक्तिगत स्वरूप की बातचीत के अंशों के अलावा टेलीफोन टैपिंग में दर्ज समूची बातचीत सार्वजनिक की जाये। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 7, 2012, 00:42