Last Updated: Friday, October 14, 2011, 08:04
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि आरटीआई कानून में कोई ढील नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार पारदर्शिता के लिए सूचना के अधिकार को और अधिक प्रभावी हथियार बनाना चाहती है लेकिन वह कुछ चिंताओं पर ध्यान देने के लिहाज से उसकी गहन समीक्षा भी चाहती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आरटीआई कानून से सरकार की विचार विमर्श की प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ना चाहिए और ईमानदार लोक सेवक अपने विचार रखते समय हतोत्साहित नहीं होने चाहिए।
दिल्ली में शुक्रवार को केंद्रीय सूचना आयोग के दो दिवसीय वार्षिक अधिवेशन को संबोधित कर रहे सिंह ने कहा कि हम सूचना के अधिकार को प्रशासन में पारदर्शिता तथा जवाबदेही लाने के लिए और भी अधिक प्रभावी हथियार बनाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि सूचना प्रदान करने और अधिकारियों के पास उपलब्ध सीमित समय व संसाधनों के बीच एक संतुलन बनाने की जरूरत है।
सरकारी महकमे के कुछ लोग इस पारदर्शिता कानून में संशोधन की मांग करते आ रहे हैं। उनका मानना है कि यह कानून कामकाज में हस्तक्षेप करता है। सूचना आयुक्तों के अधिवेशन में सूचना के अधिकार कानून में संशोधन और सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी सार्वजनिक करने से मिली छूट पर भी चर्चा हो सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक यह भी चिंता जताई गयी है कि सूचना के अधिकार से ईमानदार और निष्ठावान लोक सेवक विस्तार से अपने विचार रखने के प्रति हतोत्साहित हो सकते हैं।
(एजेंसी)
First Published: Friday, October 14, 2011, 18:55