Last Updated: Thursday, September 5, 2013, 09:21
ज़ी मीडिया ब्यूरो/बिमल कुमार नई दिल्ली : सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक (आरटीआई संशोधन विधेयक) 2013 को गुरुवार को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस समेत कुछ अन्य दलों के उत्तराखंड त्रासदी के विषय पर चर्चा को पूरा कराने की जोरदार मांग के कारण बुधवार को लोकसभा में सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2013 पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी।
उत्तराखंड त्रासदी के विषय पर चर्चा को पूरा कराने की मांग पर सदस्यों का शोर शराबा जारी रहने पर विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने आग्रह किया कि उत्तराखंड पर चर्चा पूरी करा ली जाए। सदन के नेता एवं गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि सत्र के लिए दो दिन शेष बचा है और अगर बुधवार को यह विधेयक नहीं लिया गया तो सत्र की अवधि को बढ़ाना पड़ सकता है।
इस पर सुषमा ने कहा कि गुरुवार को हम यह विधेयक ले लेंगे, आज उत्तराखंड पर चर्चा हो जाने दें। इस पर उत्तराखंड पर चर्चा फिर शुरू हो गई।
उत्तराखंड त्रासदी पर नियम 193 के तहत विशेष चर्चा शुरू होने पर सुषमा स्वराज और कांग्रेस के सतपाल महाराज के वक्तव्य के बाद पीठासीन सभापति ने आरटीआई संशोधन विधेयक को चर्चा की घोषणा की। लेकिन अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस समेत कुछ अन्य दलों के सदस्य उत्तराखंड त्रासदी के विषय पर चर्चा को पूरा कराने की मांग करने लगे।
शोर शराबे के बीच कार्मिक, लोक शिकायत एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायण सामी ने विधेयक के बारे में कहा कि सूचना का अधिकार कानून पारदर्शिता एवं जवाबदेही को मजबूत बनाने की पहल के तहत इसे पेश किया गया था। लेकिन सीआईसी के हाल के फैसले में कांग्रेस पार्टी, भाजपा, माकपा, भाकपा, राकांपा और बसपा को सार्वजनिक प्राधिकार बताया गया और इसे आरटीआई के तहत आने की बात कही गई।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल को संविधान या कही और किसी भी रूप में लोक प्राधिकार नहीं बताया गया है और यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत संचालित होते हैं। नारायणसामी ने कहा कि राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने से दलों का कामकाज प्रभावित होगा और राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी इसका दुरुपयोग करेंगे।
First Published: Thursday, September 5, 2013, 09:21