Last Updated: Monday, May 13, 2013, 13:53

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दंतचिकित्सक राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर की उस याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया जिसमें उन्होंने आरूषि हेमराज हत्याकांड मामले की सुनवाई में 14 गवाहों को तलब करने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति दीपक मिसरा की पीठ ने निचली अदालत के फैसले को तलवार दंपत्ति द्वारा सीधे अपने समक्ष चुनौती दिए जाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई और उनसे उच्च न्यायालय से संपर्क करने को कहा।
पीठ ने कहा ‘हमारा इरादा ऐसे संवेदनशील मामले में हस्तक्षेप का नहीं है। सीधे उच्चतम न्यायालय से संपर्क करना गलत प्रक्रिया है।’ आज के आदेश के बाद निचली अदालत अब तलवार दंपत्ति के बयान दर्ज करने की अपनी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ सकती है।
तलवार दंपत्ति के खिलाफ उनकी किशोरवय बेटी आरूषि और नौकर हेमराज की हत्या के मामले में सुनवाई चल रही है।
सीबीआई की विशेष अदालत ने एडीजी (कानून और व्यवस्था) तथा सीबीआई के संयुक्त निर्देशक अरूण कुमार सहित 14 अतिरिक्त गवाहों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाने का तलवार दंपत्ति का आग्रह खारिज कर दिया था। तब तलवार दंपत्ति ने उच्चतम न्यायालय में विशेष सीबीआई अदालत के इस फैसले को चुनौती दी थी।
निचली अदालत ने छह मई को तलवार दंपति की याचिका खारिज करते हुए मामले के मुख्य आरोपियों राजेश एवं नूपुर के बयान दर्ज करने का आदेश दिया था। सीबीआई के जांच अधिकारी एजीएल कौल मामले में अभियोजन पक्ष के अंतिम गवाह हैं और उनका बयान पहले ही दर्ज किया जा चुका है।
जांच एजेंसी का पक्ष है कि पांच साल पहले 14 वर्षीय आरूषि को उसके ही अभिभावकों ने मार डाला था और कोई बाहरी व्यक्ति वहां मौजूद नहीं था।
सीबीआई जांच की अगुवाई करने वाले कौल ने विशेष अदालत में अपनी गवाही में कहा कि एजेंसी की जांच में तलवार दंपति के आवास में किसी तीसरे व्यक्ति के प्रवेश के कोई प्रमाण नहीं मिले। 16 मई 2008 की रात आरूषि अपने बेडरूम में मृत पाई थी और उसका गला कटा हुआ था।
आरूषि की हत्या का शुरूआती संदेह उनके घर के नौकर हेमराज पर गया लेकिन बाद में उसका शव नोयडा के जलवायु विहार स्थित तलवार दंपति के आवास की छत पर मिला । (एजेंसी)
First Published: Monday, May 13, 2013, 11:17