Last Updated: Friday, March 22, 2013, 15:37

नई दिल्ली : अपने दो नौसैनिकों को वापस नहीं भेजने के फैसले से इटली के पलटने के बीच सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने इटली को आश्वासन दिया है कि दोनों मरीन को मौत की सजा नहीं होगी और यदि वे उच्चतम न्यायालय द्वारा तय आज तक की समयसीमा के भीतर लौट आते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
इटली द्वारा मरीन को भारत में मुकदमे का सामना करने के लिए भेजने का ऐलान करने के बाद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संसद को बताया कि इटली द्वारा मौत की सजा पर स्पष्टीकरण मांगने के बाद भारत ने उक्त आश्वासन दिया।
लोकसभा और राज्यसभा में बयान देते हुए खुर्शीद ने इस बात पर खुशी जतायी कि मामला अब संतोषजनक निष्कर्ष पर पहुंच गया है और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप मुकदमे की कार्यवाही आगे बढेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार को एक राजनयिक जरिये से सूचना मिली कि इटली अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप दोनों मरीन भारत भेजने का इच्छुक है। दोनों मरीनों पर पिछले साल फरवरी में दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या करने का मामला चल रहा है।
खुर्शीद ने कहा कि इटली ने मरीनों पर लागू होने वाली शतो’ को लेकर कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे। साथ ही मौत की सजा के प्रावधान के बारे में पूछा था कि इस मामले में वह लागू होगा या नहीं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इटली सरकार को सूचित किया है कि दोनों मरीन यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा तय समयसीमा के भीतर लौट आते हैं तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
उच्चतम न्यायालय ने दोनों मरीनों को मतदान करने के उद्देश्य से चार सप्ताह के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दी थी। चार सप्ताह की अवधि आज ही खत्म हो रही है। भारत ने इटली की इन आशंकाओं को भी दूर किया है कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें मौत की सजा होती हो। मौत की सजा दुर्लभ से दुर्लभतम मामले में होती है।
विदेश मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यह मामला भारत के अधिकारक्षेत्र में आता है। दोनों मरीन 18 जनवरी को अदालत द्वारा पारित आदेश में कही गयी शतो’ से बंधे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि इस मामले को एक विशेष अदालत देखेगी जो सरकार भारत के प्रधान न्यायाधीश से सलाह मशविरा कर गठित करेगी। मामला सामुद्रिक जोन कानून 1976, भारतीय दंड संहित, अपराध प्रक्रिया संहिता और यूएनसीएलओएस 1982 के तहत चलेगा। घरेलू कानून और यूएनसीएलओएस में कोई टकराव नहीं है।
खुर्शीद ने अपने बयान में पूरा घटनाक्रम बताया। उन्होंने कहा कि इटली ने 11 मार्च को भारत से कहा था कि उसके मरीन (इटली से) वापस नहीं जाएंगे। उसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इटली को उच्चतम न्यायालय में दिये गये हलफनामे का सम्मान करना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने अपने 22 जनवरी के आदेश में दोनों मरीन को इटली जाने की इजाजत दी थी। इटली सरकार ने हलफनामा दिया था कि दोनों मरीन उसकी हिरासत और निगरानी में रहेंगे। इटली ने दोनों मरीनों को वापस सुरक्षित भारत भेजने की भी पूरी जिम्मेदारी ली थी। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 22, 2013, 13:22