Last Updated: Monday, April 2, 2012, 15:54

कोच्चि/कोल्लाम : इटली के दबाव के आगे नहीं झुकते हुए भारत ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर जान लेने वाले इतालवी जहाज के मरीन के बारे में अदालत ही फैसला करेगी। इटली ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह देश में उसके नागरिकों का मुकदमा चलाकर एक ‘‘खतरनाक’’ परंपरा शुरू कर रहा है।
भारत का रुख एक बार फिर ऐसे समय में सामने आया है कि जब केरल हाईकोर्ट ने इतालवी जहाज एनरिका लेक्सी को मुक्त किए जाने पर लगाई गई रोक की अवधि कल तक के लिए बढ़ा दी है और कोल्लम की एक अदालत ने जहाज के दो मरीन की न्यायिक हिरासत की अवधि 14 दिनों के लिए बढ़ा दी।
केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी के साथ चर्चा करने के बाद विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि केन्द्र दोनों इतालवियों की हिरासत के बारे में केरल सरकार के रूख से परे नहीं जाएगा। कृष्णा ने कहा कि हमने दो मुद्दों पर विस्तृत विचार विमर्श किया। दो निर्दोष मछुआरे बिना किसी गलती के मारे गए, पहले मैरीन पुलिस हिरासत में थे और बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अंतत: अदालत को ही तय करना है कि इस गतिरोध का हल कैसे निकाला जाए। केरल सरकार के रुख से केंद्र के परे नहीं जाने का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार को संतुष्ट रहना चाहिए।
बैठक में केंद्रीय मंत्री ई. अहमद, पुलिस महानिरीक्षक के पद्मकुमार और विदेश मंत्रालय में यूरोप और पश्चिम की संयुक्त सचिव रुचि घनश्याम तथा राज्य पुलिस महानिदेशक जैकब पुन्नूस ने बैठक में भाग लिया। बैठक में इतालवी जहाज ‘एनरिका लैक्सी’ को कब्जे में लेकर दोनों इतालवी सुरक्षाकर्मियों को हिरासत में लेने तथा सोमालियाई जलदस्युओं की समस्या पर विचार विमर्श किया गया। इतालवी प्रधानमंत्री मारियो मोंटी ने पिछले माह इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत की थी। इसके बाद जारी इतालवी बयान में इस बात की चेतावनी दी गई थी कि केरल में दो इतालवी मैरीन का अभियोजन चलाकर भारत एक ‘‘खतरनाक परंपरा’’ की शुरुआत कर रहा है।
केरल में कोल्लम तट पर 15 फरवरी को दो मछुआरों के मारे जाने के बाद भारत और इटली के बीच राजनयिक विवाद छिड़ गया। इटली चाहता है कि मुकदमा उनके देश में चलाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इतालवी अधिकारियों को जहाज रिहा करने से पहले समुचित गारंटी देनी पड़ेगी। उन्होंने केवल एक कागज दिया। उन्हें समुचित गारंटी देनी पडेगी और अदालत की शर्तों को स्वीकार करना पड़ेगा।
(एजेंसी)
First Published: Monday, April 2, 2012, 21:24