Last Updated: Thursday, April 11, 2013, 21:35
नई दिल्ली : केरल के दो मछुआरों की हत्या के आरोप इतालवी नौसैनिकों (मरीन) के खिलाफ किन कानूनों के तहत मुकदमा चले, इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस बीच संकेत हैं कि यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा जा सकता है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत द्वारा इटली को दिए गए आश्वासन के मुताबिक दोनों इतालवी मरीन को मौत की सजा नहीं दी जाएगी। इस क्रम में उन पर लगाया गया ‘सप्रेशन आफ अनलाफुल एक्ट्स अगेन्स्ट सेफ्टी आफ मैरीटाइम नेवीगेशन एंड फिक्स्ड प्लेटफाम्र्स आन कांटिनेंटल शेल्फ एक्ट 2002’ छोड़ा जा सकता है। यह एक कड़ा कानून है जिसके तहत हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। यदि मरीन पर इस कानून के तहत मुकदमा नहीं चलता तो मामले की जांच का जिम्मा संभाल रही एनआईए इसकी जांच नहीं कर सकती क्योंकि एनआईए केवल निर्धारित मामलों की ही जांच करती है।
सूत्रों ने कहा कि ऐसी स्थिति में यदि कड़े कानून को छोड़ा गया तो एनआईए को यह मामला त्यागना पड़ेगा और फिर मामले को एक अन्य संघीय जांच एजेंसी संभवत: सीबीआई को सौंपना पड़ेगा ताकि दोनों मरीन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत मुदकमा चले। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 11, 2013, 21:35