Last Updated: Wednesday, November 23, 2011, 16:52
अहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने इशरत जहां और तीन अन्य के फर्जी मुठभेड़ मामले में किस एजेंसी को जांच करनी चाहिए और इस मामले में नई प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए अथवा नहीं इस विषय में अपना आदेश एक दिसंबर तक सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति जयंत पटेल और न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी की पीठ ने फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच करने के लिए एजेंसी के नाम को अंतिम रूप देने और हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा अब मुठभेड़ को फर्जी पाए जाने के बाद क्या नयी प्राथमिकी दर्ज किए जाने की आवश्यकता है, इस विषय में सुनवाई पूरी की।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चारों की सुनियोजित गोलीबारी में हत्या की गई थी और उनकी मृत्यु 15 जून 2004 को पुलिस प्राथमिकी में दर्ज समय और स्थान से पहले हुई थी। हाईकोर्ट ने किस एजेंसी को मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए इस पर याचिकाकर्ताओं, गुजरात और केंद्र सरकार से राय मांगी थी। सुनवाई के दौरान मांग वापस लेने की बात देखी गई। दो याचिकाकर्ताओं ने पहले इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।
उसने केंद्रीय एजेंसी से जांच का आज विरोध किया। राज्य सरकार ने इससे पहले सीबीआई जांच का विरोध किया था। वह केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने को आज तैयार दिखी। हालांकि, उसकी वरीयता में यह गुजरात पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के बाद तीसरे स्थान पर थी। राज्य सरकार इस प्रकरण की आईपीएस अधिकारी की अध्यक्षता वाली मौजूदा तीन सदस्यीय एसआईटी के जांच जारी रखने के खिलाफ थी।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 23, 2011, 22:22