Last Updated: Sunday, August 12, 2012, 19:06
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुट निरपेक्ष आंदोलन (नाम) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 28 अगस्त को ईरान जा रहे हैं। यह दौरा न केवल इस आंदोलन के प्रति भारत की चिरस्थाई प्रतिबद्धता को दोहरा सकता है, बल्कि प्रतिबंधों से जूझ रहे तेहरान के साथ सम्बंधों को गहरा बनाने के नई दिल्ली के रणनीतिक इरादे को भी रेखांकित कर सकता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 2001 में हुए दौरे के बाद इधर एक दशक के दौरान किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला दौरा होगा।
विश्वस्त सूत्रों ने कहा है कि पहले यह दौरा 120 सदस्यीय नाम शिखर सम्मेलन (30-31 अगस्त) के लिए ही था, लेकिन अब प्रधानमंत्री इस शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से कुछ उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठकें भी करने वाले हैं। इस बात की पूरी सम्भावना है कि मनमोहन सिंह और पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की मुलाकात हो सकती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण मुलाकात शिखर सम्मेलन से कुछ दिनों पहले ही तय होगी।
इस दौरे का मुख्य आकर्षण होगा मनमोहन सिंह की ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के साथ द्विपक्षीय मुलाकात। उस अहमदीनेजाद के साथ, जो पश्चिमी देशों के लिए अछूत बने हुए हैं। पश्चिमी देशों ने उनपर गोपनीय तरीके से परमाणु हथियार कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया है।
दोनों पक्ष फिलहाल एजेंडे को मूर्त रूप देने में लगे हुए हैं। लेकिन विश्वस्त सूत्रों ने संकेत दिया है कि दोनों नेता व्यापक द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।
द्विपक्षीय बातचीत के दौरान पश्चिमी प्रतिबंधों के सख्त होने के बीच ईरानी तेल आयात के भुगतानों के तौर-तरीकों पर चर्चा होना तय है। पश्चिमी दबाव के बावजूद भारत लगातार ईरानी तेल का आयात कर रहा है और इसके लिए उसने देश की ऊर्जा सुरक्षा के महत्व का जिक्र किया है। लेकिन भारत ने लगभग 10-11 प्रतिशत आयात में कटौती भी की है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 12, 2012, 19:06