Last Updated: Saturday, September 7, 2013, 17:58
ज़ी मीडिया ब्यूरोमुंबई : भाजपा में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर जारी उठापटक पर शिवसेना ने एक बार फिर से हमला बोला है। पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मोदी की पीएम बनने की महत्वाकांक्षा पर काफी कड़वे तंज कसे हैं। उद्धव ने लिखा है कि भाजपा में पीएम पद के उम्मीदवारों को देखकर लगता है कि कई दूल्हे तैयार खड़े हैं, जबकि मंडप का कहीं अता-पता नहीं है। उद्धव ने मोदी को इतिहास से सबक लेने की नसीहत देते हुए कहा कि दिल्ली की परंपरा उसी पर मेहरबान होने की है जो पीएम पद का ख्वाब नहीं देखता।
शिक्षक दिवस यानी 5 सितंबर को एक स्कूली बच्चे के सवाल का जवाब देते हुए मोदी ने कहा था कि वे पीएम पद का सपना नहीं देखते। सपना देखने वाले बर्बाद हो जाते हैं। इसी का हवाला देते हुए सामना के संपादकीय में उद्धव ने लिखा कि पीएम बनने को लेकर नरेंद्र मोदी ने अपना इरादा स्कूली बच्चे को समझा दिया, लेकिन उनकी अपनी पार्टी के लोग मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित करने के लिए दबाव बना रहे हैं, उन्हें मोदी कैसे समझाएंगे।
पत्र के मुताबिक छोटे बच्चों को चॉकलेट दे दो तो वो सवाल भूल जाते हैं, लेकिन राजनीतिक खेल में ये संभव नहीं। हर किसी को लगता है कि जब भाजपा के चुनावी रथ पर मोदी सवार होंगे तो लक्ष्य हासिल हो जाएगा, ऐसे में मोदी की नई भूमिका से लोग हैरान होंगे। पूरे देश में मोदी गुजरात के विकास का मॉडल लागू करना चाहते हैं। उन्हें भारत मां का कर्ज भी चुकाना है। ऐसे में एक स्कूली बच्चे ने दूध में नमक डाल दिया है, जिसके चलते मोदी ने 2017 तक गुजरात ना छोड़ने का फैसला किया है।
उद्धव के मुताबिक मोदी की कमान वाली भाजपा में कई धाराएं मौजूद हैं। इसके चलते आज तक उनका नाम आधिकारिक तौर पर पीएम पद के उम्मीदवार के लिए घोषित नहीं किया जा सका है। हम भी अक्सर कहते हैं कि पीएम का उम्मीदवार भाजपा को ही तय करना है। इस समय जिस तरह की अराजकता फैली हुई है, उसके चलते ऐसा माहौल खड़ा हो गया है कि अभी मंडप का पता नहीं और कई दूल्हे राजा सज-धज कर तैयार हो गए हैं। इनमें से तो कई लोगों में घोड़े की रकाब में पैर रखने की भी तमीज नहीं और कई तो घोड़े को खड़ा करने लायक भी नहीं, फिर भी वो पीएम बनने का सपना देख रहे हैं।
उद्धव ने मोदी को इतिहास से सबक लेने की सीख दी है। उद्धव ने लिखा है कि जो घोड़े मैदान के बाहर घास चरते हैं, उसे ही विजयी घोषित करने की दिल्ली की परंपरा है। देवगौड़ा, गुजराल, चंद्रशेखर और मनमोहन सिंह ने पीएम बनने का ख्वाब कभी नहीं देखा था। मोदी इस इतिहास से कुछ सीख लें। उन्होंने स्कूली बच्चों को तो इतिहास समझा दिया है, लेकिन अपने दल के राजनाथ सिंह, अमित शाह, स्मृति ईरानी, बलवीर पुंज जैसे बड़ों-बड़ों को कैसे समझाएंगे। मोदी को 2017 तक गुजरात की सेवा करनी है। उनके सेवाभाव से राजनीति में बवंडर खड़ा हुआ है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।
शिवसेना की नरेंद्र मोदी को लेकर ये कड़वी टिप्पणी भाजपा को नागवार गुजरा है। पार्टी ने सलाह दी है कि शिवसेना को देश के दूसरे अहम मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि हम किसी भी अखबार के लेख पर प्रतिक्रिया नहीं देते। शिवसेना मोदी पर बार-बार लिखने के बजाय देश में जो अन्य बड़ी समस्याएं हैं, जैसे अर्थव्यवस्था आदि उस पर लिखें तो बेहतर होगा।
First Published: Saturday, September 7, 2013, 17:58