Last Updated: Sunday, June 9, 2013, 13:31

नई दिल्ली : प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से इंकार करने वाले पुलिसकर्मियों को जेल की हवा खानी पड़ेगी। केन्द्र ने सभी राज्यों को कड़े निर्देश जारी कर कहा है कि यदि कोई पुलिसकर्मी किसी नागरिक की शिकायत दर्ज करने से इंकार करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
गृह मंत्रालय ने राज्यों और संघशासित क्षेत्रों से कहा है कि वे सभी थानों को स्पष्ट रूप से निर्देश दें कि किसी संज्ञेय अपराध के बारे में सूचना मिलने पर यदि एफआईआर दर्ज नहीं की गयी तो भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए के तहत ड्यूटी पुलिस अधिकारी पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी जिसमें एक साल तक के कारावास का प्रावधान है।
मंत्रालय ने अपने नये निर्देश में राज्यों और संघशासित क्षेत्रों से कहा है कि पुलिसकर्मियों को शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिहाज से संवेदनशील होना चाहिए चाहे वह शिकायत किसी पुरूष की ओर से हो या फिर महिला की ओर से। शिकायत के बाद आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए।
ऐसे आरोप हैं कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना में पुलिस अधिकारक्षेत्र के मुद्दे पर एफआईआर दर्ज करने के लिए दुविधा में थी। मार्च में पूर्वी दिल्ली में पांच साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में पुलिस द्वारा शुरूआत में एफआईआर नहीं दर्ज करने के आरोप लगे थे।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि यदि एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच में पता लगता है कि मामला किसी अन्य थाना क्षेत्र का है तो एफआईआर को उचित ढंग से संबंधित थाने को हस्तांतरित कर देना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 9, 2013, 13:31