'एफडीआई फैसला वापस नहीं तो काम नहीं' - Zee News हिंदी

'एफडीआई फैसला वापस नहीं तो काम नहीं'



 

ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

नई दिल्ली : भाजपा ने मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के फैसले को, इस विषय पर प्रधानमंत्री की ओर से मंगलवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले वापस लेने की आज मांग की। विपक्ष ने इस फैसले को वापस लेने के मांग के साथ ही कहा कि यदि यह वापस नहीं होता तो काम भी नहीं होगा। उसने आरोप लगाया कि सरकार ने उकसाने और महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के इरादे से जनभावना, गठबंधन धर्म तथा विपक्ष को नजरंदाज करते हुए यह फैसला किया है।

 

उधर, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी कहा कि इस फैसले के खिलाफ विरोध जारी रहेगा। हालांकि, प्रधानमंत्री ने विदेशी निवेश पर चर्चा के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। आज भी इस मसले पर हंगामे के चलते संसद ठप हो गया। वहीं, भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि नीतिगत मुद्दों पर संसद में बहस होनी चाहिए।

 

वहीं, एआईएडीएमके ने भी कहा कि विदेशी निवेश किसानों और दुकानदारों के हित में नहीं है। विपक्षी पार्टियों व विदेशी निवेश का विरोध कर रहे मुख्‍यमंत्रियों को केंद्रीय वाणिज्‍य मंत्री आनंद शर्मा ने खत भी लिखा है।

 

मुख्य विपक्षी पार्टी ने कहा, सरकार को चाहिए कि वह कल प्रधानमंत्री की ओर से इस मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले इस निर्णय को वापस ले ले और कल से संसद सुचारू रूप से चलने का मार्ग प्रशस्त करे। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा, जदयू, वामदल, समेत पूरा विपक्ष और सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस एवं सरकार को बाहर से समर्थन दे रही बसपा और सपा मल्टी ब्रांड क्षेत्र में एफडीआई के खिलाफ है। इस विषय पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने कार्यस्थगन प्रस्ताव भी दिया था क्योंकि जनभावना, गठबंधन धर्म के खिलाफ तथा विपक्ष को नजरंदाज करते हुए किया गया यह सरकार का उकसाने वाला कदम है जो महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान बांटने का प्रयास है।

 

सुषमा ने माकपा नेता सीताराम येचुरी के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार संसद की कार्यवाही नहीं चलने देना चाहती है क्योंकि इस दौरान लोकपाल, महंगाई, कालाधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होनी है। उन्होंने कहा कि हमारा कहना है कि इस विषय पर सर्वदलीय बैठक की भी कोई जरूरत नहीं है। आप इस निर्णय को आज रात वापस लें और कल से सदन सुचारू रूप से चलने का मार्ग प्रशस्त करें। सुषमा ने कहा कि अगर सरकार अपने निर्णय को वापस ले लेती है तो इस विषय पर कार्यस्थगन प्रस्ताव की जरूरत ही नहीं रह जाएगी।

 

विपक्ष पर संसद को नहीं चलने देने के सरकार के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर विपक्ष की नेता ने कहा कि सरकार का यह कहना बिल्कुल गलत है कि विपक्ष संसद नहीं चलने दे रही है। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के कक्ष सहमति बनी थी, मुद्दे तय हो गए थे और एक स्वीकार्य भाषा भी तैयार हो गई थी। लेकिन उसी दिन तेलंगाना क्षेत्र के कांग्रेस सदस्यों ने महंगाई पर चर्चा के शुरू में ही हंगामा किया और कांग्रेस की ओर से किसी ने उन्हें नहीं रोका।

 

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि संसद में कोई भी विषय संसदीय नियमों के तहत लिए जाते हैं और इसका उद्देश्य होता है कि नीतिगत विषयों पर संसद में चर्चा हो और सरकार सदन की भावना से अवगत हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए मतविभाजन का प्रावधान होता है ताकि सदन की भावना सामने आ जाए। सरकार का इस विषय पर अजीब रुख है. जो कहती कि नियमों में मतविभाजन का प्रावधान तो है लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं है। जेटली ने कहा कि संसद के प्रत्येक सत्र में इस विषय पर गतिरोध बनता है।

 

बहरहाल, कार्यस्थगन प्रस्ताव के बारे में एक प्रश्न के उत्तर सुषमा ने कहा कि एक विषय पर एक सत्र में दो कार्यस्थगन प्रस्ताव नहीं पेश किए जा सकते हैं, लेकिन अलग अलग विषयों पर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं।

First Published: Monday, November 28, 2011, 18:39

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