कांस्टेबल मौत मामला : प्रत्यक्षदर्शियों से हुई पूछताछ

कांस्टेबल मौत मामला : प्रत्यक्षदर्शियों से हुई पूछताछ

कांस्टेबल मौत मामला : प्रत्यक्षदर्शियों से हुई पूछताछनई दिल्ली : दिल्ली गैंगरेप पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए किए गए प्रदर्शन के दौरान कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने गुरुवार को तीन प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की। स्वयं को प्रत्यक्षदर्शी बताने वाले पत्रकारिता के छात्र योगेंद्र तोमर अपराह्न् लगभग तीन बजे चाणक्यपुरी स्थित दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के दफ्तर पहुंचे।

20 वर्षीय योगेंद्र ने दफ्तर में प्रवेश करते समय संवाददाताओं से कहा, `मैं किसी तरह के दबाव में नहीं हूं। मैं अपराध शाखा के अधिकारियों को वही कहूंगा जो अब तक कहता रहा हूं।` गत रविवार को इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को खदेड़ते समय तिलक मार्ग पर गिरने से घायल कांस्टेबल तोमर की 25 दिसम्बर की सुबह हृदयाघात से मौत हो गई थी। पुलिस का कहना है कि भीड़ ने तोमर को कुचल दिया था।

योगेंद्र के साथ उसकी उम्र की एक अन्य युवती पॉलिन ने बुधवार को मीडिया से कहा था कि भीड़ को खदेड़ते समय तोमर खुद गिर पड़े थे। उन्हें न तो पीटा गया और न ही कुचला गया। सच तो यह है कि कई प्रदर्शनकारी उसकी मदद करने आए थे। पॉलिन ने विस्तार से बताया कि किस तरह उन्होंने बेहोश हुए पुलिसकर्मी को होश में लाने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। प्रत्यक्षदर्शी युवती ने कहा कि कांस्टेबल के बदन पर किसी तरह की चोट का निशान दिखाई नहीं दिया।

उधर, एक तीसरे प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने तोमर को पीटा था। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से आकर प्रदर्शन में शामिल हुए 31 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता सलीम अल्वी ने कहा, `हम 23 दिसम्बर को इंडिया गेट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। तभी मैंने देखा कि भीड़ में से किसी ने कांस्टेबल तोमर पर एक पत्थर फेंका जिसके बाद वह गिर पड़ा। फिर पांच-छह लोग आए और उन्होंने कई बार उसे घूंसा मारा।`

अल्वी ने कहा, `हमला करने वाले `आम आदमी पार्टी` लिखी टोपी पहने हुए थे। उनके जूतों में कीलें जड़ी हुई थीं।` उन्होंने कहा कि लगभग 20 सेकेंड तक पिटाई करने के बाद वे लोग भाग गए। मैं उन लोगों के पीछे दौड़ा और उनसे कहा कि उन्हें पुलिसकर्मी के साथ हिंसा नहीं करनी चाहिए थी। अल्वी ने कहा, `मुमकिन है कि योगेंद्र तोमर और पॉलिन (अन्य दो प्रत्यक्षदर्शी) वहां बाद में पहुंचे हों।`

उन्होंने कहा, `जिस दिन कांस्टेबल की मौत की खबर सुनी उस दिन तो मैं चुप रहा लेकिन जब मीडिया में गलत बातें आने लगीं तब मैंने सोचा कि मुझे सच बताना चाहिए।` अल्वी ने गुरुवार को पुलिस से सम्पर्क किया और अपराध शाखा ने उसका बयान दर्ज किया।

ज्ञात हो कि कांस्टेबल की मौत का मामला बुधवार को अपराध शाखा को सौंप दिया गया था। इस बीच पुलिस घटनाओं का क्रमवार अध्ययन करने के लिए समाचार चैनलों से वीडियो फुटेज भी एकत्र कर रही है। तोमर की मौत राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुई थी। वहां के चिकित्सा अधीक्षक टी.एस. सिद्धू ने भी बुधवार को कहा था कि उनके दाहिने घुटने पर खरोंच और सीने में चोट के अलावा उनके शरीर पर कोई बड़ा निशान नहीं था।

उधर, पुलिस ने बुधवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था, `कांस्टेबल की गर्दन और सीने पर किसी भारी चीज से वार किया गया जिस वजह से उसे भीतरी चोट लगने का पता चला है।` पुलिस ने हालांकि भीड़ के हमले की बात नहीं कही थी। (एजेंसी)

First Published: Thursday, December 27, 2012, 20:47

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