Last Updated: Monday, February 11, 2013, 20:55

नई दिल्ली : केंद्र ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की उन बातों को आज खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि अफजल गुरु को फांसी दिया जाना चयनात्मक था। केंद्र ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों का मामला अलग है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अफजल को फांसी दिया जाना राजनैतिक फैसला नहीं है बल्कि नियमों के अनुसार किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘राजीव गांधी और मुख्यमंत्री के प्रकरण में मामले अब भी उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं। (दया याचिकाएं) खारिज किए जाने के बाद मद्रास उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में मामले दायर किए गए थे।’’ उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ये मामले अब भी न्यायपालिका के समक्ष विचाराधीन हैं। इसलिए यह (अफजल का) मामला उन मामलों से अलग है।’’ शिंदे उस सवाल का जवाब दे रहे थे कि सरकार ने अफजल गुरु को फांसी देने में जल्दबाजी दिखाई जबकि गांधी और सिंह के हत्यारों को विकल्प दिया।
उमर ने कल यह भी कहा था कि कश्मीरियों और दुनिया के समक्ष इस बात को साबित करना होगा कि अफजल गुरु को फांसी चयनात्मक नहीं थी। उमर ने कहा था कि अगर संसद पर हमला लोकतंत्र के प्रतीक पर हमला है तो क्या किसी मुख्यमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री पर हमला लोकतंत्र पर हमला नहीं है।
एक अन्य सवाल पर शिंदे ने कहा कि अफजल को फांसी देने का फैसला राजनैतिक नहीं था बल्कि नियमों के अनुसार किया गया। आम तौर पर राष्ट्रपति दया याचिका पर हस्ताक्षर करते हैं और गृह मंत्रालय इसे तामील के लिए भेज देता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अन्य मामलों में भी फाइलें संबद्ध राज्यों को भेजी गई थीं। वहां उन्होंने :दोषियों ने: अपील दायर की।’’ शनिवार को दी गई विवादास्पद फांसी के घटनाक्रमों की जानकारी देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि उमर को शुक्रवार की रात को सूचित किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘उस समय मैंने पहली बार उनसे कहा कि हम इसे कल सुबह कर रहे हैं।’’ जल्दबाजी में गोपनीय तरीके से फांसी दिए जाने को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि मामला संवेदनशील था इसलिए गोपनीयता बरतना जरूरी थी।
गुरु के परिवार को अंधेरे में रखे जाने संबंधी विभिन्न सवालों के जवाब में शिंदे ने कहा कि जेल नियमावली के अनुसार कारा अधिकारियों ने निश्चित तौर पर उन्हें सूचित किया होगा। जब एक संवाददाता ने पूछा कि अगर मौत की सजा को प्रतिरोधक के तौर पर कार्य करना है तो क्यों गोपनीय तरीके से फांसी दी गई तो इसपर शिंदे ने कहा कि पुलिस जांच और खुफिया अभियान खुले में नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘अगर वैसा किया गया तो देश नहीं चलेगा।’’
कुछ आतंकवादी समूहों द्वारा जवाबी कार्रवाई की धमकी दिए जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि सरकार इसके प्रति सावधान रहेगी। पत्रकार इफ्तिखार गिलानी को अवैध तरीके से हिरासत में रखे जाने के सवाल पर शिंदे ने कहा कि वह आज ही मेघालय से पहुंचे हैं और ‘‘अब मैं इसके बारे में पूछताछ करूंगा।’’ अफजल गुरु को जिस दिन फांसी दी गई थी उस दिन गिलानी को उनके ससुर और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के यहां स्थित मकान में हिरासत में रखा गया था। हालांकि, बाद में उन्हें जाने की अनुमति दे दी गई थी।
अफजल और कसाब को फांसी दिए जाने के मद्देनजर पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कर रहे सरबजीत सिंह को राहत मिलने के संबंध में पूछे गए सवाल पर शिंदे ने कहा, ‘‘मैंने इस मुद्दे को पाकिस्तान के गृह मंत्री के समक्ष उठाया है।’’ मौत की सजा का सामना कर रहे एक कैदी जिसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है उसके बारे में उन्होंने कहा, ‘‘वह मामला भी अदालत में है।’’ पाकिस्तान में भूख हड़ताल पर बैठने के दौरान जेकेएलएफ नेता यासीन मलिक के लश्कर-ए-तय्यबा प्रमुख हाफिज सईद के साथ मंच साझा करने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस मामले को देखूंगा।’’ (एजेंसी)
First Published: Monday, February 11, 2013, 20:55