कानून से न्यायिक स्वतंत्रता में मजबूती : खुर्शीद

कानून से न्यायिक स्वतंत्रता में मजबूती : खुर्शीद

कानून से न्यायिक स्वतंत्रता में मजबूती : खुर्शीदनई दिल्ली: न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित किए जाने के खिलाफ प्रधान न्यायाधीश द्वारा सरकार को आगाह किए जाने के एक दिन बाद कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता सबसे उपर है और न्यायिक जवाबदेही पर प्रस्तावित कानून इसे कमजोर नहीं करेगा ।

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया की टिप्पणी के एक दिन बाद कहा कि वह पहले ही कह चुके हैं कि यह कानून न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करने के लिए नहीं, बल्कि मजबूत करने के लिए है ।

खुर्शीद ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता (न्यायिक) सबसे उपर है और हम इसे लेकर अत्यंत स्पष्ट हैं ।’’ कानून मंत्री एक समारोह में थे जहां प्रधान न्यायाधीश भी थे । खुर्शीद ने कहा कि शब्द अलग हो सकते हैं, लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर विचारों में कोई भिन्नता नहीं है ।

न्यायमूर्ति कपाड़िया ने कहा था, ‘सरकार न्यायाधीशों को जवाबदेह बनाने के लिए कानून बना सकती है । हम इससे नहीं डरते हैं । लेकिन इसे न्यायिक स्वतंत्रता के विशिष्ट संवैधानिक सिद्धांत को प्रभावित नहीं करना चाहिए ।’ उच्चतम न्यायालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर प्रधान न्यायाधीश ने सरकार से आग्रह किया था कि कानून लाते समय उसे न्यायिक स्वतंत्रता की अवधारणा से नजर नहीं हटानी चाहिए ।

न्यायमूर्ति कपाड़िया संभवत: न्यायिक मानक एवं जवाबदेही विधेयक की ओर इशारा कर रहे थे जिसे लोकसभा की मंजूरी मिल गयी है और राज्यसभा में उसे पारित किया जाना है।

विधेयक के एक विवादास्पद प्रावधान में कहा गया है, ‘कोई भी न्यायाधीश किसी भी संवैधानिक और विधिक संस्थान या अधिकारी के खिलाफ खुली अदालत में मामलों की सुनवाई के समय अवांछित टिप्पणी नहीं करेगा।’ खुर्शीद पहले ही कह चुके हैं कि वह इस प्रावधान को हटाने के लिए वापस मंत्रिमंडल के पास जाएंगे। (एजेंसी)

First Published: Thursday, August 16, 2012, 14:47

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