Last Updated: Monday, May 14, 2012, 10:07
नई दिल्ली : स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में राजनीतिकों के बारे में कथित तौर पर आपत्तिजनक कार्टून छापने और उन पर छात्रों की राय मांगने के मामले में लोकसभा में सोमवार को सदस्यों ने जबरदस्त हंगामा किया और इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के इस्तीफे की मांग की। शून्यकाल में यह मामला उठाने वाले उत्तेजित सदस्यों को शांत करते हुए सरकार ने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की पुस्तक में ऐसी आपत्तिजनक सामग्री के प्रकाशन की अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कुछ दिन पहले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के कार्टून का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि आज सदस्यों ने एनसीईआरटी की कक्षा नौ, दस और ग्यारहवीं की ‘डेमोक्रेटिक पोलिटिक्स’ नामक पुस्तक में राजनीतिकों को आपत्तिजनक ढंग से पेश किए जाने वाले कार्टूनों और उन पर छात्रों से अनुच्छेद लिखे जाने को कहने पर सख्त आपत्ति जताई। सदस्यों का कहना था कि यह केवल राजनीतिकों का अपमान नहीं है बल्कि संसदीय लोकतंत्र के प्रति निराशावाद को फैलाकर देश को अराजकता और तानाशाही की ओर ले जाने की साजिश है। सिब्बल ने बाद में दिए अपने बयान में कहा कि सरकार इस मामले में सदस्यों की भावनाओं और संवेदनाओं से सहमत है। उन्होंने माना कि यह कार्टून अनुचित हैं और इन्हें पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करेगी ताकि पाठ्यपुस्तकों में केवल शिक्षा संबंधी उचित सामग्री ही शामिल की जाए। सदस्यों को उन्होंने बताया कि सरकार ने एनसीईआरटी की इन पुस्तकों में ऐसी आपत्तिजनक सामग्री को छापने की अनुमति देने वाले अधिकारियों की भूमिका तथा उनकी जवाबदेही तय करने के लिए जांच कराने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि यह भी सुनिश्चित करने का फैसला किया गया है कि भविष्य में पाठ्यपुस्तकों में अनुचित सामग्री को शामिल किए जाने की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो पाए। इससे पहले शून्यकाल में शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर ने यह मुद्दा उठाते हुए पाठ्यपुस्तकों में इस प्रकार के कार्टून प्रकाशित किए जाने को गंभीर मामला बताया। कांग्रेस के संजय निरुपम ने भी कहा कि राजनेताओं को गाली देना एक प्रकार का फैशन बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्टून छापने के बारे में सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए।
भाजपा के यशवंत सिन्हा ने सिब्बल के इस्तीफे की मांग करते हुए पाठ्यपुस्तकों में इस तरह के कार्टून प्रकाशित किए जाने के लिए मंत्री होने के नाते सिब्बल सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। जनता दल यू के शरद यादव ने कहा कि सबसे आपत्तिजनक बात यह है कि पाठ्यपुस्तकों में छपे इन कार्टूनों पर छात्रों से उनकी राय मांगी गयी। यह छात्रों के मन में राजनीतिकों के प्रति जहर भरने जैसा है। समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह ने कहा कि यह पूरे राजनीतिकों पर हमला है। देश की जनता में हमारे प्रति नजरिए को खराब करने का षड़यंत्र किया जा रहा है। बच्चे ऐसी चीजें पढ़ेंगे तो राजनीतिकों के बारे में क्या राय बनाएंगे।
द्रमुक के टी के एस ईलानगोवन ने कहा कि राजनीतिकों का मखौल बनाना राजनीति शास्त्र नहीं है। उन्होंने ऐसे कार्टूनों को पाठ्यपुस्तकों से तुरंत वापस लिए जाने की मांग की। बसपा के दारासिंह चौहान ने कहा कि ये कार्टून राजनीतिकों के प्रति छात्रों का दिमाग बदलने की साजिश हैं। उन्होंने कहा कि सिब्बल जैसे काबिल मंत्री के रहते ऐसे कार्टून पाठ्य पुस्तकों में जगह कैसे बना पाए, इसका मंत्री स्पष्टीकरण दें। अन्ननाद्रमुक के एम. थम्बीदुरई ने कहा कि इस प्रकार के कार्टून छापने से बच्चों में राजनीति के प्रति घृणा पैदा होगी। तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी राय ने कहा कि राजनीतिकों के खिलाफ फिल्मों, धारावाहिकों और मीडिया, सब में भ्रामक तस्वीर पेश की जा रही है। राजनीतिकों को गरियाने का फैशन सा बन गया है। बीजद के भृतुहरि मेहताब ने कहा कि अखबारों में कार्टून मुस्कान लाते हैं लेकिन पाठ्य पुस्तकों में उन्हें छापना और उन पर छात्रों से अनुच्छेद लिखने को कहना बेहद आपत्तिजनक है।
कम्युनिस्ट पार्टी के गुरूदास दासगुप्ता ने कहा कि ये सिर्फ राजनीतिकों को निशाना बनाना नहीं है बल्कि पूरे देश में राजनीतिकों, प्रधानमंत्री और सांसदों के प्रति निराशावाद का माहौल पैदा करना है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर बात है क्योंकि ऐसे माहौल से अराजकता और तानाशाही को पनपने का मौका मिलता है। माकपा के बासुदेव आचार्य ने कहा कि सभी राजनीतिकों को एक रंग में रंगा जा रहा है जबकि समाज के हर वर्ग में कुछ खराब लोग होते हैं लेकिन सब को खराब बताना अनुचित है। राजद के लालू प्रसाद ने कहा कि जब कोई एक सांसद फंसता है तो सब कहते हैं कि फलनवां फंस गया और आज सब फंसे हैं तो सब इकट्ठा हो गए और सब की आंखें खुल गईं। उन्होंने सवाल किया कि सदन के नेता ने ऐसे कार्टूनों को पाठ्य पुस्तकों से वापस लिए जाने की घोषणा की है लेकिन जो छात्र इसे अपनी पुस्तकों में देख पढ़ चुके हैं उनके दिमाग से यह कैसे वापस होगा।
शिवसेना के अनंत गीते ने कहा कि यह राजनीति और राजनीतिकों के प्रति बच्चों के दिमाग में जहर घोलने का काम है और अफसोस की बात यह है कि सरकार इसमें शामिल है। उन्होंने इसकी जवाबदेही तय करने के लिए व्यापक जांच की मांग की। तेदेपा के नामा नागेश्वर राव ने इसके लिए पूरी तरह मानव संसाधन विकास मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की। इन सब सदस्यों से एकदम विपरीत रूख अपनाते हुए नेशनल कांफ्रेंस के शरीफुद्दीन शारिक ने सवाल किया कि इतना परेशान होने की जरूरत क्यों है। हमें अपने गिरेबां में झांक कर देखना होगा।
(एजेंसी)
First Published: Monday, May 14, 2012, 16:49