कार्रवाई सरकार के दबाव में : केजरीवाल - Zee News हिंदी

कार्रवाई सरकार के दबाव में : केजरीवाल

ज़ी न्यूज़ ब्यूरो

नई दिल्ली : टीम अन्ना के अहम सहयोगी अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास को आयकर विभाग से नोटिस मिलने के बाद शुक्रवार दोपहर को टीम अन्ना ने संवाददाता सम्मेलन में साफ तौर पर कहा कि आयकर विभाग का नोटिस सरकार के दबाव में दिया गया है. अरविंद केजरीवाल ने आज आरोप लगाया कि आयकर विभाग ने उन्हें नौ लाख रुपये का भुगतान करने का नोटिस ‘राजनीतिक आकाओं’ के कहने पर भेजा है.

लोकपाल के मुद्दे पर हज़ारे द्वारा अनशन करने से 10 दिन पहले आयकर विभाग ने पांच अगस्त को केजरीवाल को एक नोटिस भेजा. नोटिस में केजरीवाल से उनके आयकर उपायुक्त रहते हुए अध्ययन अवकाश पर जाने की अवधि की तनख्वाह, उस पर लगे ब्याज तथा एक कर्ज के ब्याज सहित बकाया राशि को मिलाकर कुल 9.27 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा गया है.

केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आयकर विभाग ने मेरे दो वर्ष अवकाश पर रहने के दौरान प्रभावी रहे बॉन्ड की गलत व्याख्या की है. मैंने बॉन्ड का कोई उल्लंघन नहीं किया है. आयकर विभाग ने यह नोटिस राजनीतिक आकाओं के दबाव में भेजा है.’ हज़ारे के एक अन्य साथी कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने सबक नहीं लिये हैं और वह कुत्सित तरीकों पर लौट आयी है.

केजरीवाल ने कह कि उन्होंने एक नवंबर 2000 से 31 अक्तूबर 2002 के बीच आयकर विभाग से ‘अध्ययन अवकाश’ लिया था. इस दौरान उन्होंने एक बॉन्ड पर दस्तखत किये थे, जिसके मुताबिक वह अक्तूबर 2002 में छुट्टी से लौटने के तीन वर्ष बाद तक इस्तीफा नहीं दे सकते थे. उन्होंने कहा, ‘मुझे अध्ययन अवकाश के दौरान तनख्वाह नहीं मिली थी और मैंने दो वर्ष आरटीआई कानून के लिये जनहित में काम किया था. मैंने छुट्टी से लौटने के साढ़े तीन वर्ष बाद फरवरी 2006 में इस्तीफा दिया. लिहाजा, मैंने किसी बॉन्ड का उल्लंघन नहीं किया है.’

केजरीवाल ने कहा कि वह आयकर विभाग से कह चुके हैं कि अगर वह चाहे तो उनके जीपीएफ से कटौती कर सकता है. केजरीवाल ने कहा कि बॉन्ड के मुताबिक, अगर वह छुट्टी से लौटने के तीन वर्ष के भीतर ही नौकरी छोड़ देते तो उन्हें अध्ययन अवकाश की अवधि की तनख्वाह का भुगतान करना होता. लेकिन बॉन्ड का उल्लंघन नहीं होने के बावजूद आयकर विभाग ने उन्हें करीब नौ लाख रुपये का भुगतान करने का नोटिस भेज दिया.

उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2006 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष बी एम सिंह ने सिफारिश की थी कि अगर बॉन्ड का कोई उल्लंघन हुआ भी है तो उसके लिये माफी दी जा सकती है क्योंकि अध्ययन अवकाश की अवधि का इस्तेमाल जनहित में हुआ था. आयकर विभाग द्वारा केजरीवाल को भेजे नोटिस में उनसे दो वर्ष की तनख्वाह के रूप में 3.54 लाख, उस पर ब्याज के रूप में 4.16 लाख, कम्प्यूटर के कर्ज की बकाया राशि के रूप में 51,000 रुपये और उस पर ब्याज के रूप में 1.04 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा है. इस तरह उन्हें नौ लाख से अधिक रुपये की राशि देने को कहा गया है.

केजरीवाल ने कहा कि फरवरी 2006 में उनके इस्तीफा देने के बाद इस संबंध में एक वर्ष तक उनके और आयकर विभाग के बीच पत्राचार हुआ, लेकिन उसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं किया गया. आरटीआई कार्यकर्ता ने नोटिस भेजे जाने के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि चार वर्ष के अंतराल के बाद अचानक हज़ारे के अनशन से पहले यह नोटिस क्यों भेजा गया.

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनके साथ ही उनके रिश्तेदारों के भी पीछे पड़ी है. यह कहा जा रहा है कि उनके चाचा बचपन में आरएसएस की शाखा में जाते थे. केजरीवाल ने कहा कि इस तरह के आरोप बेतुके हैं और उनके चाचा की एक दुर्घटना में पांच वर्ष पहले मौत हो चुकी है. केजरीवाल ने कहा कि अगर आयकर विभाग ने अगले वर्ष तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया तो वह स्वेच्छिक सेवानिवृत्त के हकदार हो जायेंगे और सरकार को उन्हें आजीवन पेंशन देनी पड़ जायेगी.

First Published: Friday, September 2, 2011, 17:42

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