Last Updated: Friday, January 6, 2012, 12:46
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली : करोड़ों रुपये के एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई जांच का सामना कर रहे बसपा के पूर्व नेता बाबू सिंह कुशवाहा को शामिल करने को लेकर शुक्रवार को भाजपा में बवंडर और तेज हो गया है तथा पार्टी के कुछ और नेताओं ने इस फैसले पर विरोध के स्वर तेज कर दिए हैं।
इस विवादित मसले पर गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने बागी तेवर दिखा दिए। उन्होंने कहा कि यदि पार्टी में बागी रहेंगे तो वे पार्टी छोड़ देंगे। अगर बीजेपी भ्रष्टाचारियों का साथ देगी तो वे पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अपराधी और माफिया पार्टी में रहेंगे तो उन्हें इस पर सोचना होगा। केंद्रीय नेतृत्व इस मसले पर फैसला नहीं लेता है तो फैसले लेने के लिए वह स्वतंत्र होंगे। राजनीति से सिद्धांत हटा दिए जाएं तो राजनीति और वेश्यावृत्ति में कोई अंतर ही नहीं रह जाएगा। इसके अलावा, पार्टी की तेज तर्रार नेता उमा भारती भी कुशवाहा को शामिल करने के निर्णय से खुश नहीं हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश के आंवला से भाजपा सांसद मेनका गांधी ने कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने के फैसले की आलोचना की है। इससे पहले योगी आदित्यनाथ और कीर्ति आजाद ने भी पार्टी के कदम की खुलकर निंदा की थी। मेनका ने कहा कि बसपा द्वारा निकाले गए लोगों को पार्टी में लेना सही नहीं लगता। उन्हें शामिल करने से पहले किसी से नहीं पूछा गया। ऐसे नेता मंत्री के रूप में अवैध लाभ उठाते हैं और कोई काम नहीं करते।
खबरें हैं कि पार्टी की तेज तर्रार नेता उमा भारती भी कुशवाहा को शामिल करने के निर्णय से खुश नहीं हैं। हालांकि उन्होंने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में वह मीडिया से बातचीत नहीं करतीं और वह केवल पार्टी के समक्ष अपनी राय रखेंगी। उमा भारती इस बात से भी नाराज लगती हैं कि उनके उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिए जा रहे हैं। कुशवाहा के अलावा वह बादशाह सिंह को पार्टी में शामिल करने के फैसले से भी खुश नहीं हैं। 2002 के उत्तर प्रदेश चुनाव में सिंह का उमा भारती से तनाव रहा था।
लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता पहले ही पार्टी के फैसले पर अपनी असहमति जता चुके हैं। कई नेताओं के विरोध के बावजूद फैसले को रद्द करने की संभावना नहीं के बराबर हैं। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह इस फैसले पर अडिग हैं क्योंकि कुशवाहा के पार्टी में होने से अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटों का लाभ मिल सकता है। भाजपा नेता यशवंत सिंह ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि कुशवाहा पार्टी में व्हिसलब्लोअर की तरह आए हैं और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के कारनामों का खुलासा करेंगे।
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे मायावती सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को भारतीय जनता पार्टी में शामिल किए जाने के विरोध में पार्टी के नेताओं के स्वर मुखर होने लगे हैं और योगी आदित्यनाथ के बाद अब सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी इस निर्णय की आलोचना की है।
मेनका ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त, आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों और बलात्कारियों को पार्टी में लेने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसे नेताओं को पार्टी में शामिल करने का वह सैद्धांतिक रुप से विरोध करती हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त, आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों और बलात्कारियों को पार्टी में लेने के बारे में पार्टी हाई कमान को पुनर्विचार करना चाहिए। भले ही बाबू सिंह कुशवाहा का मामला क्यों न हो।
मेनका पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में जनसम्पर्क करने के लिए अपने आंवला संसदीय क्षेत्र में आई थी। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आरक्षण देकर केंद्र सरकार देश में गृह युद्ध का मार्ग प्रशस्त कर रही है। आरक्षण में आरक्षण देना असंवैधानिक है और मुसलमानों को आरक्षण देना ही है तो आरक्षण का अलग से प्रावधान किया जाए।
First Published: Saturday, January 7, 2012, 11:46