Last Updated: Monday, September 9, 2013, 18:34

गांधीनगर: गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश के हर राज्य की अपनी अलग कृषि निर्यात नीति होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने देश से कहा कि कृषि के मोर्चे पर बड़ी सोच की जरूरत है।
वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक कृषि सम्मेलन में मोदी यहां देश भर के किसानों को संबोधित कर रहे थे। दो दिवसीय सम्मेलन में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी शामिल हुए। उन्होंने मोदी से कहा कि वह खुद को गुजरात की सीमा में ही सीमित नहीं रखें।
उन्होंने पहले दिए अपने भाषण में मोदी से कहा कि आप खुद को गुजरात तक ही सीमित क्यों रख रहे हैं? सम्मेलन में बादल ने जहां मोदी को `देश का महान नेता` कहा, वहीं मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्णन कुसमारिया ने मोदी को `भारत का भविष्य` कहा।
मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए एक साल पहले उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कुछ सलाह दी थी, जिस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने मनमोहन सिंह से कहा था कि 500 शहरों को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए चुना जाए ताकि वहां से आसपास के क्षेत्रों में खाद का वितरण हो।
उन्होंने कहा कि उन्होंने गुजरात में 50 शहरों का चुनाव कर इसे लागू करने का फैसला किया है। मोदी ने कहा कि देश को कृषि के मोर्चे पर बड़ी सोच की जरूरत है। हर राज्य को अपनी कृषि निर्यात नीति बनानी चाहिए।
सम्मेलन में डेनमार्क, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मालदीव, आयरलैंड, आस्ट्रेलिया, सेशेल्स, गैंबिया, मालावी, मेडागास्कर और बोलीविया के विशेषज्ञ और राजनयिक भी शामिल हुए। उधर बादल ने मांग की कि कृषि उपज के लिए मूल्य निर्धारण करने वाली केंद्र सरकार की इकाई को स्वायत्त बनाया जाए। उन्होंने कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट्स एंड प्राइसेस (सीएसीपी) पर आरोप लगाया कि वह अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण करते वक्त कभी राज्यों से सलाह-मशविरा नहीं करता है।
महात्मा मंदिर सभागार में उन्होंने कहा कि इस इकाई को स्वायत्त बनाया जाना चाहिए। इसी सम्मेलन में सीएसीपी के प्रमुख अशोक गुलाटी भी मंच पर मौजूद थे। बादल ने कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं करना चाहिए। स्वायत्त इकाई में किसानों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए। मोदी के मुताबिक देश के 542 जिलों के किसान सम्मेलन में शामिल हुए। (एजेंसी)
First Published: Monday, September 9, 2013, 18:34