केंद्र के पास लंबित है गुजरात दंगा पीड़ितों का मामला

केंद्र के पास लंबित है गुजरात दंगा पीड़ितों का मामला

नई दिल्ली : गुजरात के दंगा और भूकंप पीड़ित अल्पसंख्यकों का कर्ज माफ करने के लिए राज्य सरकार केंद्र से बीते कई महीनों से गुहार लगा रही है, लेकिन केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय इस पर अब तक कोई फैसला नहीं कर पाया है।

दरअसल, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) की ओर से राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय को दिए गए कर्ज में से करीब 19.2 करोड़ रुपये का बकाया है। इस राशि में ब्याज और एनएमडीएफसी की ओर से लगाया गया जुर्माना भी शामिल है। इसे माफ करने की मांग गुजरात अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम (जीएमएफडीसी) की ओर से की गई थी।

जीएमएफडीसी के उपाध्यक्ष कादरभाई सालोट ने कहा, हम कई महीनों से पत्र लिखकर केंद्र से आग्रह कर रहे हैं कि गुजरात के दंगा और भूकंप पीड़ित मुसलमानों का कर्ज माफ कर दिया जाए। परंतु केंद्र सरकार हमारी गुहार नहीं सुन रही है।

इस मामले पर केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, यह आग्रह मंत्रालय और एनएफडीएफसी के पास आया था। एनएमडीएफसी के प्रावधानों के मुताबिक पूरा कर्ज माफ करने की व्यवस्था नहीं है, हालांकि इस बारे में विचार किया जा रहा है।

यह राशि गुजरात के हजारों लाभार्थियों पर कर्ज के रूप में बकाया है। इनमें से पांच हजार से अधिक लोग 2001 में आए भयावह भूकंप और 2002 के दंगे के पीड़ित हैं। इन लोगों ने केंद्र की योजना के तहत कर्ज इन दोनों आपदाओं से पहले लिया था।

जीएमएफडीसी ने 13 अक्तूबर, 2011 को एनएमडीएफसी को पहली बार पत्र लिखकर कर्ज को माफ करने की गुहार लगाई थी। पत्र में कहा गया, भूकंप और उसके बाद दंगों में लोगों ने अपना सब कुछ गवां दिया जिससे वे कर्ज अदा करने की स्थिति में नहीं है। इस आधार पर केंद्र को मूलधन, ब्याज और जुर्माने की राशि को माफ कर देना चाहिए।

जीएमएफडीसी के आग्रह को एनएमडीएफसी के प्रबंध निदेशक अबरार अहमद ने तत्काल मंत्रालय के पास भेज दिया, हालांकि इस पर कोई फैसला नहीं किया गया।

सालोत का दावा है कि गुजरात के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री फकीरभाई वाघेला ने भी केंद्र को पत्र लिखा, लेकिन इस पर कोई ठोस पहल नहीं की गई। इस संदर्भ में राज्य के सामजिक न्याय अधिकारिता विभाग के प्रधान सचिव संजय प्रसाद ने इसी साल 29 फरवरी को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को पत्र लिखा।

जीएमएफडीसी के उपाध्यक्ष सालोत ने कहा, कर्ज को लेकर गुजरात का रिकवरी रेट करीब 68 फीसदी का रहा है, जो कई राज्यों से बेहतर है। इसके बावजूद बीते तीन साल से हमें एनएमडीएफसी की ओर से कर्ज के लिए राशि नहीं दी गई। हमारी मांगों की पूरी तरह की उपेक्षा की जा रही है।

अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कारोबार और शिक्षा के लिए कर्ज मुहैया कराया जाता है। इसमें 85 फीसदी राशि केंद्र और 10 फीसदी राज्य सरकार देती है। शेष पांच फीसदी राशि लाभार्थी स्वयं लगाता है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, July 29, 2012, 12:32

comments powered by Disqus