Last Updated: Tuesday, August 20, 2013, 15:48

नई दिल्ली : कोलगेट से संबंधित लापता फाइलों के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद में मंगलवार को दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही और भाजपा ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से जवाब मांगा। सरकार का हालांकि कहना था कि वह दस्तावेजों का पता लगाने में कोई कोर कसर नहीं बाकी रखेगी।
‘शेम शेम’ और ‘प्रधानमंत्री जवाब दो’ के नारों के बीच लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सदन में आकर आश्वासन दें कि लापता फाइलों के कारण सीबीआई जांच में कोई बाधा नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में लोकसभा में पूरी जिम्मेदारी ली थी और इसलिए उनका दायित्व बनता है कि वह सदन को बताएं कि 147 लापता फाइलों का क्या हुआ? लापता फाइलों में कोयला ब्लाकों के आवेदन भी शामिल होने का दावा करते हुए सुषमा ने आरोप लगाया कि ये फाइलें इसलिए लापता हुई हैं क्योंकि कांग्रेस के कुछ बड़े नाम इसमें शामिल हैं।
सुषमा चाहती थीं कि अध्यक्ष मीरा कुमार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सदन में बयान देने का निर्देश दें। प्रधानमंत्री के पास 2006 से 2009 के बीच कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था। कोयला सहित कुछ अन्य मुददों पर हंगामे के कारण लोकसभा की बैठक चार बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा हुआ, जिसके बाद कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने अपने बयान में कहा कि लापता फाइलों के मुद्दे पर समिति गठित की गई है, जिसकी दो बैठकें हो चुकी हैं।
जायसवाल ने कहा कि मैं सदन को आश्वासन देना चाहूंगा कि मेरा मंत्रालय सीबीआई द्वारा मांगे गए दस्तावेजों का पता लगाने और उन्हें उपलब्ध कराने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेगा। जायसवाल ने कहा कि यदि इस मामले में उनकी संलिप्तता साबित होती है तो वह कोई भी सजा भुगतने को तैयार हैं।
लेकिन विपक्ष इस बयान से संतुष्ट नहीं हुआ और विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने जानना चाहा कि क्या लापता फाइलों के संबंध में कोयला मंत्रालय द्वारा कोई प्राथमिकी दर्ज कराई गई है? सुबह राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होने पर भाजपा सदस्यों ने लापता फाइलों के संबंध में प्रधानमंत्री के बयान की मांग शुरू कर दी। भाजपा सदस्य एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आना चाहिए और आश्वासन देना चाहिए कि फाइलें सुरक्षित हैं। उन्होंने मांग की कि फाइलों से संबंधित मुद्दे को पहले लेना चाहिए।
कार्यवाही एक बार स्थगित होने के बाद सदन में आए कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बयान देने का प्रयास किया लेकिन भाजपा सदस्य इस बात पर अड़े रहे कि प्रधानमंत्री ही इस पर बयान दें। जायसवाल अपना बयान पूरा नहीं कर सके। विपक्ष के उप नेता रविशंकर प्रसाद ने कोल घोटाले को अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए आरोप लगाया कि कुछ लापता फाइलें ऐसी कंपनियों से संबंधित हैं जिनसे सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि हम बयान प्रधानमंत्री से चाहते हैं। मंत्री के बारे में गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इसी मुद्दे पर हंगामा जारी रहा और राज्यसभा की कार्यवाही चार बार के स्थगन के बाद लगभग ढाई बजे गुरूवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा में तेलंगाना और प्याज की बढ़ती कीमतों का मामला भी उठा। अन्नाद्रमुक और द्रमुक ने इसी दौरान मांग की कि भारत को जातीय तमिलों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किए जाने और भारतीय मछुआरों को निशाना बनाए जाने के कारण कोलंबो में नवंबर में होने वाली राष्ट्रमंडल के राष्ट्राध्यक्षों की शिखर बैठक का बहिष्कार करना चाहिए।
तेदेपा सदस्यों का एकीकृत आंध्र को लेकर आसन के समक्ष आकर नारेबाजी किए जाने का भी आज तीसरा सप्ताह था। तेलंगाना का विरोध कर रहे कुछ कांग्रेसी सदस्यों ने भी अपने स्थान से नारेबाजी की और प्लेकार्ड दिखाए। लोकसभा की बैठक जब 12 बजे पुन: शुरू हुई तो जगदम्बिका पाल आसन पर थे। पिछले सप्ताह पीठासीन सभापतियों के पैनल में शामिल किए जाने के बाद सदन की कार्यवाही का संचालन करने का कांग्रेसी सदस्य का यह पहला दिन था।
जैसे ही पाल आसन पर बैठे, सदस्यों खासतौर से सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोरदार तरीके से उनका स्वागत किया। हंगामा जारी रहा और भाजपा तथा तेदेपा के सदस्य नारेबाजी करते रहे। पाल ने तेदेपा सदस्यों से आसन के साथ सहयोग करने की अपील की क्योंकि सदन के संचालन का उनका यह पहला मौका था। भाजपा सदस्यों को शांत करने का प्रयास करते हुए पाल ने कहा कि कोयला मंत्री लापता फाइलों पर बयान देंगे। लेकिन सदस्य शांत नहीं हुए और पीठासीन सभापित ने सदन की बैठक एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 20, 2013, 15:48