Last Updated: Monday, January 2, 2012, 09:54

हैदराबाद : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अवैध खनन मामले में सोमवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी वाई. श्रीलक्ष्मी की जमानत रद्द कर दी। अदालत ने श्रीलक्ष्मी को छह जनवरी से पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले दो दिसंबर को एक विशेष अदालत ने श्रीलक्ष्मी को जमानत दे दी थी, जिसे चुनौती देने के लिए सीबीआई की ओर से दायर की गई याचिका पर हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है। सीबीआई का कहना है कि श्रीलक्ष्मी जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।
अदालत सीबीआई की इस दलील से सहमत थी कि जब अन्य आरोपी जेल में हैं और मामले में जांच जारी है, तब ऐसे में श्रीलक्ष्मी को जमानत दिया जाना ठीक नहीं है। हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर को आंध्र प्रदेश खनिज विकास निगम (एपीएमडीसी) के पूर्व उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक वी.डी. राजगोपाल की जमानत रद्द कर दी थी।
रोजगोपाल, कर्नाटक के पूर्व मंत्री जी. जनार्दन रेड्डी व उनके सम्बंधी बीवी. श्रीनिवास रेड्डी वर्तमान में अवैध खनन मामले में चंचलगुडा केंद्रीय जेल में बंद हैं। सीबीआई की अदालत ने दो दिसम्बर को श्रीलक्ष्मी को जमानत दी थी। इससे एक दिन पहले ही उन्हें जेल भेजा गया था।
सीबीआई ने 28 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी की थी और उस समय वह परिवार कल्याण आयुक्त थीं। लौह अयस्क खनन को पट्टा देने में जनार्दन रेड्डी की ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) के साथ कथित पक्षपात करने के आरोप में सीबीआई ने उनसे तीन दिन तक पूछताछ की थी।
वाईएस राजशेखर रेड्डी सरकार में जब ओएमसी को अनंतपुर जिले में लौह अयस्क खनन के लिए पट्टे दिए गए थे, तब 1988 बैच की आईएएस अधिकारी श्रीलक्ष्मी उद्योग सचिव थीं। जिस दिन उन्हें न्यायिक हिरासत में लिया गया उसी दिन राज्य सरकार ने उन्हें उनके पद से निलंबित कर दिया था।
(एजेंसी)
First Published: Monday, January 2, 2012, 15:24