Last Updated: Tuesday, August 13, 2013, 00:25

नई दिल्ली : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर यह कहते हुए खाद्य सुरक्षा कानून पर मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाने का प्रस्ताव किया है कि यह एक ऐसा मुद्दा है कि जिससे केंद्र और राज्य सरकारों दोनों का वास्ता है।
मोदी ने पत्र में आरोप लगाया है कि गरीब परिवारों को अध्यादेश के जरिये ‘खाद्य आरक्षित’ बना दिया गया है जो ‘खाद्य सुरक्षा के मूल उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता।’ उन्होंने सात अगस्त की तिथि वाले पत्र में आरोप लगाया है कि अध्यादेश के तहत अव्यवहार्य वैधानिक जिम्मेदारियां केंद्र और राज्य सरकारों को दी गई हैं और लाभार्थियों की संख्या पात्रता के मानदंड और व्यक्तिगत अधिकार तय किये बिना तय कर दी गई है। विभिन्न राज्यों के बीच व्यापक क्षेत्रीय असमानताएं हो सकती हैं।
मोदी के अनुसार संसद की स्थायी समिति ने जनवरी 2013 में सिफारिश की थी कि सरकार को राज्य सरकार से सलाह मशविरा करके पात्रता मानदंड तय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यादेश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों का हक 35 किलोग्राम प्रति परिवार से घटाकर औसत पांच व्यक्ति के परिवार को 25 किलोग्राम करने का प्रस्ताव है। यह खाद्य सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य नहीं हो सकता जो उन लोगों का हक घटाता है जिनकी पहचान गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले के रूप में हुई है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर योजना आयोग यह दावा कर रहा है बीपीएल परिवारों की संख्या में कमी हुई है लेकिन अध्यादेश के तहत जनसंख्या के दो तिहाई लोगों को खाद्य सहायता देने की बात है। इस पर राज्यों से चर्चा होनी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 13, 2013, 00:25