Last Updated: Saturday, November 3, 2012, 00:14
ज़ी न्यूज ब्यूरो चेन्नई/नई दिल्ली : भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की मुश्किलें थमती नहीं दिख रही हैं। गडकरी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि कानून को अपना काम करना चाहिए और जो दोषी पाए जाएं उन्हें कानून के अनुसार सजा मिलनी चाहिए।
संघ ने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण या भ्रष्टाचार, दोनों के अलग-अलग मापदंड नहीं हैं। इन बयानों से यह संकेत मिलता है कि गडकरी को लेकर इन दिनों उठ रहे विवादों के बाद संघ कथित तौर पर दूरी बना रहा है और इस मामले में काफी सतर्कता के साथ प्रतिक्रिया दी जा रही है।
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के कारोबारी मामलों से अपनी दूरी बनाते हुए आरएसएस ने कहा कि कानून अपना काम करेगा और उसका किसी के प्रति कोई नरम रुख नहीं है।
संघ के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसाबेले ने शहर के बाहरी इलाके में स्थित केलाम्बकम में संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह टिप्पणी की। उनसे गडकरी पर लगे आरोपों के बारे में पूछा गया था। उन्होंने संघ के महासचिव सुरेश जोशी के कुछ दिन पूर्व दिए गए उस बयान को दोहरा दिया, जिसमें जोशी ने कहा था कि किसी गैर कानूनी गतिविधि में लिप्त होने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए और दोषी पाये जाने पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
तीन दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत और देश भर से 400 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। बैठक में बांग्लादेश से अवैध आव्रजन और प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे विभिन्न मसलों पर चर्चा की जाएगी। भूमि अधिग्रहण के मामले में केवल गडकरी के खिलाफ मीडिया में खबरें आने पर होसाबेले ने कहा कि ऐसे मामलों में 100 अन्य लोग भी लिप्त हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हम व्यक्ति या मामले के आधार पर इसकी चर्चा नहीं करने जा रहे हैं। हम एक नीति के तौर पर भूमि अधिग्रहण पर चर्चा करने जा रहे हैं। इस दायरे में जो भी आएगा उसे कानून का सामना करना पडेगा। इसीलिए हम किसी के प्रति भी नरमी नहीं अपना रहे हैं। हम नीति के अनुसार काम कर रहे हैं और उसी बात पर बल दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि (संघ के लिए) मामला चाहे भूमि अधिग्रहण का हो या भ्रष्टाचार का या कुछ और, अलग-अलग मापदंड नहीं हो सकते। संघ देशहित का हिमायती है, राष्ट्रीय हित के साथ है। सार्वजनिक जीवन में नैतिकता हमारे लिये सर्वोपरि है और उसी के अनुरूप हम अपना रुख व्यक्त करते हैं।
First Published: Friday, November 2, 2012, 14:31