Last Updated: Friday, November 16, 2012, 13:24

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली/डब्लिन : आयरलैंड में भारतीय महिला चिकित्सक सविता हलप्पनवार की त्रासद मौत के मामले में गंभीर रुख अपनाते हुए भारत सरकार ने शुक्रवार को आयरिश सरकार के समक्ष इस मसले को उठाने का निर्णय लिया है। गौर हो कि आयरलैंड में चिकित्सकों की ओर से कथित तौर पर ‘एक कैथोलिक देश` होने का हवाला देकर गर्भपात से इनकार करने के कारण 31 वर्षीय भारतीय दंत चिकित्सक सविता की खून में विषाक्तता की वजह से मौत हो गई।
शुक्रवार को एक रिपोर्ट के अनुसार, आयरलैंड में भारतीय राजदूत देवाशीष चक्रवर्ती इस मामले को आयरिश सरकार के समक्ष उठाएंगे। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संवाददाताओं से कहा कि मैं समझता हूं कि यदि बच्चे को नहीं बचाया जा सकता हो तो मां की जिंदगी बचाना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि आयरलैंड में भारत के राजनयिक सविता के परिवार द्वारा दिए गए तथ्य पेश करेंगे। सूत्र ने कहा कि जो भी हुआ, वह बेहद दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है।
गौर हो कि कर्नाटक की रहने वाली सविता की रक्त में जहर के कारण 28 अक्टूबर को गैलवे के यूनिवर्सिर्टी हॉस्पिटल में मौत हो गई थी। चिकित्सकों ने यह कहकर उसका गर्भपात ऑपरेशन करने से मना कर दिया था कि ‘यह एक कैथलिक देश है।’आयरलैंड में जब तक जान का बहुत अधिक खतरा न हो तब तक गर्भपात गैरकानूनी है।
वहीं, भारतीय महिला चिकित्सक सविता हलप्पनवार की मौत के बाद भड़के विरोध के चलते आयरलैंड के अधिकारियों ने कहा है कि वह इस मामले की जांच के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञ को नियुक्त करेंगे, जिससे यह जांच दुनिया की नजरों में खरी उतरे। आयरलैंड में जन स्वास्थ्य सेवाओं का नियंत्रण करने वाली स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यकारिणी ने कहा कि स्त्री एवं प्रसूति रोग के एक स्वतंत्र विदेशी विशेषज्ञ को नियुक्त किया जायेगा जो सविता की मौत की जांच कर रहे दल का साथ देगा। इक्कतीस वर्षीय गर्भवती सविता की मौत की खबर के बाद डबलिन में आयरलैंड के गर्भपात नियमों के खिलाफ प्रदर्शन किए गए। स्वास्थ्य मंत्री जेम्स रिले ने आज कहा कि इस मामले की जांच दुनिया की नजरों में खरी उतरनी चाहिए।
आयरलैंड की संसद ‘द डेल’के बाहर भी करीब दो हजार लोग इकट्ठे हुए जिन्होंने देश के इस विवादास्पद गर्भपात के कानून में संशोधन की मांग की। यहां सविता की याद में एक मिनट का मौन भी रखा गया। उधर, वहीं महिला चिकित्सक के माता-पिता ने अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है। दिल्ली कैथलिक आर्कडियोसेस ने कहा कि मां की जान जोखिम में नहीं डाली जानी चाहिए थी हालांकि गर्भपात उनके लिए पूरी तरह वर्जित है।
वहीं, दिल्ली कैथलिक आर्कडियोसेस के प्रवक्ता रेव एफ डोमिनिक इमेनुअल ने कहा कि जब मां की जान खतरे में हो तो उसकी जान बचाई जाए और मां को बचाते हुए अगर गर्भाशय में बच्चे को कुछ होता है तो उसके लिए डॉक्टर या मां को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए क्योंकि उनका इरादा जिंदगी बचाना था न कि खत्म करना।
First Published: Friday, November 16, 2012, 11:06