Last Updated: Tuesday, October 9, 2012, 14:44

नई दिल्ली: प्रख्यात गांधीवादी और गांधी कथा के लिए चर्चित नारायणभाई देसाई ने दावा किया है कि महात्मा गांधी का जीवन एक दुखांत नाटक था और गांधी ने अपनी मृत्यु की घोषणा करीब सवा साल पहले ही कर दी थी। और दरअसल यह उनकी इच्छा मृत्यु थी।
गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति की ओर से आयोजित गांधी कथा में बापू के प्रिय एवं निजी सचिव महादेवभाई के पुत्र नारायणभाई देसाई ने बताया कि हालांकि गांधी की हत्या कट्टरता ने की थी, लेकिन बापू इसकी घोषणा बहुत पहले नौआखली दंगों के दौरान ही कर चुके थे।
उन्होंने बताया कि अक्तूबर-नवंबर 1946 के नौआखली दंगों के दौरान बापू ने अपनी सहयोगी डॉक्टर सुशीला से कहा था कि यदि मेरी मौत किसी बीमारी अथवा फोड़े के कारण होती है, तो तुम किसी मकान की छत पर खड़े होकर यही कहना कि यह इंसान ढोंगी था और ईश्वर पर उसकी कोई आस्था नहीं थी। लेकिन यदि मेरी मौत प्रार्थना में जाते समय किसी की गोली से होती है, और हत्यारे की आंखों में करुणा नहीं हो, तो कहना कि यह इंसान ईश्वर का भक्त था। देसाई ने बताया कि गांधी की हत्या दरअसल उनकी इच्छा मृत्यु ही थी।
उन्होंने बताया कि इसके बाद बापू ने कई अवसरों पर इसे दोहराया था कि उनकी मौत तो प्रार्थना में जाते समय किसी की गोली से ही होगी।
अपनी मौत का जिक्र करते समय गांधी अक्सर फोड़े से मौत होने की बात भी कहते थे, क्योंकि उनके पिता मोहनदास की मौत भगंदर से हुयी थी।
उन्होंने बताया कि गांधी की मौत के बाद लार्ड माउंटबेटन ने भी इसकी पुष्टि की थी। उन्होंने बताया कि गांधी ने कहा था कि जब उनके मुख में ईश्वर का नाम और हृदय में ईश्वर का वास होगा, तभी उनकी मौत होगी।
उल्लेखनीय है कि नौआखनी में की गयी उनकी घोषणा, 30 जनवरी 1948 को सच साबित हुई। इस दिन नाथूराम ने प्रार्थना में जाते समय गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 9, 2012, 13:27