Last Updated: Thursday, November 15, 2012, 20:51
नई दिल्ली : म्यामांर की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची ने गुरुवार को कहा कि यदि महात्मा गांधी जिंदा होते तो वह हमारे देश के संबंध में भारत के रूख का खुलकर विरोध करते और उसे खारिज कर देते। नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची ने एक न्यूज चैनल पर एक साक्षात्कार में कहा कि मैं समझता हूं कि महात्मा गांधी अपनी अस्वीकृति के संबंध में बहुत मुखर होते। उन्होंने कहा कि उनके जीवन पर गांधी जी का बहुत प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने कहा कि मैं समझती हूं वह (गांधी) हमारे साथ खड़े होते। आंग सान ने कहा कि वह भारत के रुख को लेकर बहुत दुखी महसूस कर रही हैं क्योंकि वह भारत को अपने करीब पाती हैं। उन्होंने कहा कि मैं इसको लेकर दुखी हूं। इससे पहले कल जवाहर लाल नेहरू स्मारक व्याख्यान में आंग सान ने कहा था कि वह इस बात से दुखी हैं कि भारत ने ‘सबसे कठिन समय में’म्यामांर से दूरी बना ली जबकि आशा थी कि भारत लोकतंत्र के लक्ष्य को हासिल करने में उनके देश के साथ बना रहेगा।
हालांकि आंग सान सू ची ने आज कहा कि किसी को भी इस चीज को लेकर व्यवहारिक होना होगा क्योंकि ‘मैं जानती हूं कि सरकार कभी कभी ऐसे फैसले लेती है जो अन्य देशों के लिये अच्छा होने के बजाय उनके अपने देश के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है। यह पूछे जाने पर कि भारत से लंबे जुड़ाव के बाद क्या वह खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही हैं, इस पर नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की नेता ने नकारात्मक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि नहीं..नहीं, मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा। मैं नहीं समझती हूं कि हमें किसी से वफादारी या सहायता की मांग करने का अधिकार है। हमें वफादारी और सहयोग के लिए काम करना होगा। मैं इससे दुखी महसूस कर रही हूं, कुल मिलाकर बस यही है। यह मेरे दिमाग में बना नहीं रहता। कई अन्य ऐसी चीजें हैं जिसके बारे में हमें सोचना है।
आंग सान ने कहा कि उन्हें वर्ष 2015 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने में झिझक नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को बिना हिंसा के ‘लोकतंत्र की राह में आगे ले जाने के लिये’सेना का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 15, 2012, 20:51