Last Updated: Saturday, November 12, 2011, 16:11
विशेष विमान से : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्पष्ट किया कि वह अपने पाकिस्तानी समकक्ष यूसुफ रजा गिलानी पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं कर रहे हैं और दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया में पाकिस्तान के सशस्त्र बलों की भी सहमति है ।
उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान की असैन्य सरकार के हाथ मजबूत करना चाहता है और गिलानी स्पष्ट रूप से समझ चुके हैं कि मुम्बई जैसा एक और हमला शांति प्रक्रिया के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। गिलानी ने गुरुवार को मालदीव में भेंट के दौरान गिलानी को अमनपंसद व्यक्ति कहा था।
सिंह ने मालदीव से लौटते समय विशेष विमान में संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारत-पाक शांति प्रक्रिया कई घटनाओं का शिकार रही है। उनकी पाकिस्तान यात्रा तभी होगी जब पाकिस्तान मुम्बई आतंकवादी हमले के आरोपियों के खिलाफ ठोस कदम उठाएगा। जब सिंह से पूछा गया कि उन्होंने किस बात को लेकर गिलानी को अमनपसंद व्यक्ति कहा, तब उन्होंने कहा कि वह उनसे चार-पांच बार मिल चुके हैं और बार-बार दोनों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की है। चर्चा के दौरान उनके समकक्ष इस पर सहमत थे कि सभी समस्याओं का शांतिपूर्ण हल के अलावा और कोई रास्ता नहीं है तथा आतंकवाद से इस प्रक्रिया में मदद नहीं मिल रही है।
उन्होंने कहा, ‘मैं विश्वास कर सकता हूं कि पाकिस्तान में एक लोकतांत्रिक सरकार है। हमें इस लोकतांत्रिक सरकार के हाथ मजबूत करने चाहिए। सिंह ने कहा, ‘द्विपक्षीय संबंधों और व्यापार को सामान्य बनाने तथा आतंकवाद संबंधी मुद्दों पर आगे बढ़ने की अपनी इच्छा को लेकर मैं सोचता हूं कि गिलानी के रूप में पाकिस्तान के पास ऐसा प्रधानमंत्री है जो हमारे साथ काम करने को तैयार है।’
गिलानी पर विश्वास करने के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम किसी पर आंख मूंद कर विश्वास कर रहे हैं चाहे वह कितना ही समझदार व्यक्ति क्यों न हो। प्रधानमंत्री गिलानी और मैं संबंधों को सामान्य बनाने में विश्वास करते हैं।’ उन्होंने कहा कि वह और गिलानी इस बात पर सहमत थे कि वार्ता का दूसरा दौर शुरू होना चाहिए और जिस तरह पाकिस्तान ने भारत को सर्वोच्च तरजीह वाले देश का दर्जा देकर अपने परिवर्तित दृष्टिकोण का परिचय दिया है और वह आतंकवाद सहित सभी मुद्दों पर बातचीत को इच्छुक है, ऐसे में व्यापार संबंध के विकास के लिए वार्ता का दूसरा दौर आवश्यक है।
उन्होंने कहा, मैं मालदीव से इस उम्मीद के साथ लौटा हूं कि पाकिस्तान के साथ वार्ता का दूसरा दौर शीघ्र ही शुरू होगा। लेकिन उस बातचीत का क्या परिणाम होगा, मैं फिलहाल नहीं कह सकता क्योंकि भारत-पाक संबंध घटनाओं से प्रभावित होते हैं।’ जब प्रधानमंत्री से पूछा गया कि क्या वह पाकिस्तान की यात्रा करने पर सहमत हो गए हैं, तो उन्होंने कहा, ‘जब कभी गिलानी उनसे मिलते हैं, वे उन्हें यात्रा पर आने का न्यौता देते हैं, लेकिन मैंने भी कहा है कि इस यात्रा के लिए सही वक्त तब आएगा जब (पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद के खिलाफ) ठोस कदम उठाए जाएंगे। जब समय आएगा तब मैं यात्रा करूंगा।’
जब प्रधानमंत्री से पूछा गया कि क्या राहुल गांधी कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष का पद ग्रहण करने जा रहे हैं, जैसी कि अटकलें हैं, उन्होंने कहा, ‘यह पार्टी का मामला है। मैं पार्टी के बारे में कुछ नहीं कह सकता। लेकिन यदि राहुल कोई जिम्मेदारी संभालते हैं तो मैं उसका स्वागत करूंगा।’ प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार राहुल गांधी से मंत्रिमंडल में शामिल होने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को राज्य से आंशिक रूप से हटाने की मांग पर मनमोहन ने कहा कि सुरक्षा बलों से जुड़े पक्ष तटस्थ भाव से इस मुद्दे पर विचार विमर्श करेंगे।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, November 13, 2011, 15:16